"अन्तर्स्थलीय जल में मछली रोग और स्वास्थ्य प्रबंधन" पर क्षमता निर्माण
मछलियों और जलीय कृषि में रोग कुछ प्रमुख बाधाएं हैं, लेकिन मछली और शेलफिश के रोगों का निदान और नियंत्रण करने के लिए मछुआरे और मतस्य क्रषको किसानों के जानकारी का आभाव होता है। मत्स्य स्वास्थ्य में किसानों, छात्रों और उद्यमियों की क्षमता विकसित करने के लिए, मत्स्य स्वास्थ्य पर भा.कृ.अनु.प. द्वारा वित्त पोषित अखिल भारतीय नेटवर्क परियोजना के तहत भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान द्वारा 4 मार्च 2021 को "अंतर्देशीय जल में मछली रोग और स्वास्थ्य प्रबंधन" पर तीन दिन (4-6 मार्च, 2021) का प्रशिक्षण शुरू किया गया है। । भा.कृ.अनु.प.-केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. बी के दास ने संस्थान के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष और प्रभारी की उपस्थिति में कार्यक्रम का उद्घाटन किया। उन्होंने भारत भर के उम्मीदवारों का स्वागत किया और मछली और शेलफिश उत्पादन के लिए मत्स्य रोग निदान मछली रोग निदान और स्वास्थ्य प्रबंधन प्रथाओं के महत्व के बारे में जानकारी दी।
ICAR-CIFRI, ICAR-CIFA, ICAR-CIBA, ICAR-NBFGR, WBUAFS के वैज्ञानिक और प्रोफेसर और निजी उद्यमी इस दौरान अन्तर्स्थलीय जल में मछली स्वास्थ्य प्रबंधन के विभिन्न विषयों पर व्याख्यान देंगे। देश के विभिन्न हिस्सों के 500 से अधिक उम्मीदवारों से इसमें भाग लेने के लिये नामांकन मिला है। उनमें से 100 प्रतिभागियों ने Google मीट प्लेटफ़ॉर्म पर प्रशिक्षण में भाग लिया और बाकी प्रतिभागी Youtube चैनल (AINP fish health CIFRI) में लाइव प्रसारण से जुडे हुये है ।ऐसा मानना है कि ऑनलाइन प्रशिक्षण से मछुआरों और मछली किसानों, उद्यमियों, छात्रों और पेशेवरों का वैज्ञानिक रूप से मछली और शेलफिश के रोगों के प्रबंधन के ज्ञान और क्षमता को बढ़ाया जा सकता है, जिससे मछली और शेलफिश का उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो।