भाकृअनुप-केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान का 75 वां स्थापना दिवस
भाकृअनुप-केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान ने 17 मार्च, 2021 को अपना 75वां स्थापना दिवस मनाया। कार्यक्रम का शुभारंभ भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के स्तुति गीत से की गई। इस समारोह के मुख्य अतिथि, रामकृष्ण आश्रम, सारगाछी के सचिव, स्वामी विश्वमायानंद जी थे। अन्य सम्मानित अतिथियों में भाकृअनुप-निमफेट के निदेशक, डॉ. बी. बी. शाक्यवार; विधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति, डा. बी. एस. महापात्र और भाकृअनुप-केन्द्रीय पटसन एवं सम्बद्ध रेशा संस्थान के निदेशक, डॉ गौरांगों कर प्रमुख थे। यह कार्यक्रम ऑनलाइन मोड में भी आयोजित किया गया था जिसके माध्यम से डा. जे. के. जेना, माननीय उप-महानिदेशक (मात्स्यिकी विज्ञान), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, संस्थान कर्मी, संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र/स्टेशन और संस्थान के पूर्व निदेशकों ने भी भाग लिया। कार्यक्रम में सेवानिवृत्त संस्थान कर्मी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अन्य संस्थानों और विभिन्न बीलों (आर्द्रक्षेत्र) से जुड़े मछुआरा परिवारों ने भी भाग लिया । कार्यक्रम के आरंभ में संथान के निदेशक, डा. बि. के. दास ने स्वागत सम्बोधन के साथ किया।। उन्होंने सभी अतिथियों का स्वागत किया और पिछले 3 वर्षों में संस्थान की गतिविधियों व उपलब्धियों पर एक प्रस्तुति दी। इसके बाद गणमान्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित किया गया ।
स्थापना दिवस के मुख्य अतिथि, रामकृष्ण आश्रम, सारगाछी के सचिव, स्वामी विश्वमायानंद जी ने सभा को संबोधित किया और महामारी काल में संस्थान के कार्यों की सराहना की। उन्होंने संस्थान के पुरस्कृत कर्मियों और स्थापना दिवस के दौरान लोकार्पित प्रकाशनों के लेखकों को बधाई दी। स्वामी विश्वमायानंद जी ने एकीकृत मत्स्य पालन प्रौद्योगिकी के महत्व पर भी जोर दिया और अधिक संभावनाओं के लिए सभी संस्थानों के बीच अधिक सहयोगात्मक कार्य हेतु प्रेरित किया। उन्होंने स्वामी विवेकानंद जी के भाषण का संदर्भ लेते हुए इस बात पर भी जोर दिया कि नवीन तकनीकों और आविष्कार को आम लोगों तक पहुंचना चाहिए।
डा. बी. एस. महापात्र ने 75वें स्थापना दिवस के अवसर पर सिफ़री परिवार को बधाई दी और कहा कि यह बड़े गर्व की बात है कि संस्थान हमारे देश की स्वाधीनता वर्ष से ही राष्ट्र की सेवा कर रहा है। उन्होंने मात्स्यिकी क्षेत्र में संस्थान के कार्यों की सराहना की तथा कृषि गतिविधियों के साथ मत्स्य पालन] विशेष रूप से पोषक तत्वों से भरपूर छोटी स्वदेशी मछलियों के एकीकृत पालन पर जोर दिया ।
डॉ. बी. बी. शाक्यवार ने सस्थान को राष्ट्र के लिए 74 गौरवशाली सेवा वर्ष पूरा करने के लिए बधाई दी। उन्होंने कोविड काल में भी संस्थान की उत्कृष्ट उपलब्धियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि पेटेंट, प्रौद्योगिकियों, परियोजनाओं आदि के रूप में संस्थान में ख्याति दिलाने के लिए कर्मचारियों के प्रयास प्रशंसनीय हैं। उन्होंने प्रतिष्ठित नमामि गंगे परियोजना के तहत संस्थान द्वारा किए गए गंगा मत्स्य संरक्षण और संरक्षण गतिविधियों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा शुरू की गई अनुसंधान और विकास गतिविधियां प्रत्यक्ष तौर पर सामाजिक विकास में सहयोगी हैं ।
डॉ गौरांगों कर ने इस अवसर पर संस्थान के निदेशक को उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए बधाई दी और अपनी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कोविड काल के दौरान संस्थान के विकास कार्यों की भी सराहना की। उन्होंने जल की घटती उपलब्धता जैसी गंभीर मुद्दों पर बात की और प्रति यूनिट जल उत्पादकता बढ़ाने और कृषि गतिविधियों के जल की कमी को पूरा करने पर जोर दिया। उन्होंने पर्यावरण ह्रास, जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर भी चर्चा की और किसानों की आय दोगुनी करने के लिए जरूरत आधारित और मांग आधारित अनुसंधान परियोजनाओं पर जोर दिया ।
डा. जे. के. जेना, माननीय उप-महानिदेशक (मात्स्यिकी विज्ञान), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने ऑनलाइन मोड द्वारा इस समारोह में भाग लिया। उन्होंने कोविड 19 महामारी काल में संस्थान के कार्यों की सराहना की और स्थापना दिवस के दौरान सम्मानित किए गए सभी विजेताओं को बधाई दी।
एफएओ कंसल्टेंट और पूर्व सहायक महानिदेशक (अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, डॉ वी वी सुगुणन ने भी संस्थान के कार्यों की सराहना की और संस्थान के विकसित प्रौद्योगिकियों पर प्रकाश डाला ।
संस्थान ने बिहार के आर्द्रझीलों में मात्स्यिकी विकास हेतु प्रकाशन, संस्थान के कॉफी टेबल बुक, ‘Common plankton of river Ganga’, ‘Strategic plan for inland open water fisheries development under PMMSY’, हिन्दी में पुस्तक, अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी संवर्धन एवं समाधान और हिन्दी फ़ोल्डर, जैसी कई प्रकाशनों का विमोचन किया। संस्थान परिवार के मेधावी छात्रों को प्रशस्ति पत्र और नकद पुरस्कार दिए गए। वर्ष 2020-2021 के लिए सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक, तकनीकी, प्रशासनिक, कुशल सहायक और रिसर्च स्कॉलर के लिए संस्थान पुरस्कार प्रदान किए गए ।
कार्यक्रम का संचालन संस्थान की वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ अपर्णा रॉय ने किया। धन्यवाद ज्ञापन संयुक्त निदेशक एवं कुलसचिव, श्री राजीव लाल ने दिया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।