“ बिहार के पूर्वी चंपारण के मछुआरों के लिए आर्द्रभूमि मात्स्यिकी विकास ” पर कार्यशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम" का उद्घाटन
भाकृअनुप-केंद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान ने दिनांक 22-23 मार्च 2021 को कृषि विज्ञान केंद्र, डा.राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पिपराकोठी, पूर्वी चंपारण में " बिहार के पूर्वी चंपारण के मछुआरों के लिए आर्द्रभूमि मात्स्यिकी विकास पर एक कार्यशाला-सह-प्रशिक्षण कार्यक्रम" का आयोजन किया। इस समारोह के मुख्य अतिथि, श्री प्रमोद कुमार, माननीय मंत्री, गन्ना उद्योग और कानून विभाग, बिहार सरकार थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ संस्थान के निदेशक डॉ. बि. के. दास के स्वागत भाषण के साथ हुआ जो ऑनलाइन मोड में किया गया। उन्होंने सभी गणमान्य व्यक्तियों और प्रशिक्षुओं का कार्यक्रम में स्वागत किया। उन्होंने कहा कि संस्थान किसानों की आय को दोगुना करने के लिए संस्थान बिहार के 5 आर्द्रभूमि में पिछले चार वर्षों से प्रतिबद्ध रूप से काम कर रहा है जिसमें लाइन विभागों का सहयोग अन्यतम है।
डॉ. एम. ए. हसन, प्रभागाध्यक्ष, मात्स्यिकी संवर्धन प्रबंधन प्रभाग ने पालन आधारित मात्स्यिकी विकास के लिए घेरे में पालन प्रणाली जैसे पिंजरे और पेन में मछली पालन, इन-सीटू नर्सरी पालन आदि प्रौद्योगिकियों के महत्व पर जोर दिया जिससे आर्द्रभूमि में मात्स्यिकी विकास किया जा सकता है। उन्होंने बाढ़ के दौरान मैक्रोफाइट प्रबंधन और लिंक चैनल के माध्यम से मछलियों के पलायन को रोकने जैसी प्रबंधन रणनीतियों की चर्चा की।
श्री प्रमोद कुमार, माननीय मंत्री, गन्ना उद्योग और कानून विभाग, बिहार सरकार ने अपने संबोधन में निदेशक और संस्थान टीम को इस क्षेत्र में आर्द्रभूमि मात्स्यिकी विकास में संस्थान के अथक प्रयासों के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि वे डॉ. राधा मोहन सिंह जी, पूर्व केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री के बहुत आभारी हैं, जिन्होंने आर्द्रभूमि के मछुआरों के लिए महत्वाकांक्षी तथा विकासात्मक कार्यक्रम लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन मछुआरों का आर्द्रभूमि में मछली उत्पादन और उत्पादकता वृद्धि में बहुत बड़ा योगदान है और इससे उनकी आय भी बढ़ी है। उन्होंने संस्थान की गतिविधियों की सराहना की और अन्य अविकसित गोखुर (ऑक्सबो) झीलों में पंचवर्षीय कार्यक्रम के विस्तार के लिए अनुरोध किया। भारत के माननीय प्रधान मंत्री के आत्मनिर्भर बनने के आह्वान हेतु उन्होंने मछुआरों को सामाजिक विकास में सहयोग करने और कड़ी मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने संस्थान द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त मछुआरों से भी अनुरोध किया। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्वी चंपारण में मछली उत्पादन में वृद्धि के परिणामस्वरूप अन्य राज्यों से मछली की आपूर्ति पर क्षेत्र की निर्भरता कम हो गई है।
श्री प्रकाश अस्थाना, सदस्य, बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट, डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा ने बिहार दिवस के अवसर पर अपनी शुभकामनाएं दीं और इस क्षेत्र में विकास और मत्स्य पालन की दिशा में संस्थान के प्रयास की सराहना की। उन्होंने इस क्षेत्र के अन्य आर्द्रक्षेत्रों में भी मात्स्यिकी विस्तार कार्यक्रम के लिए आग्रह किया।
श्री रवींद्र साहनी, मुखिया, पिपराकोठी और अध्यक्ष, पिपराकोठी मछुआरा सहकारी समिति ने राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड के माध्यम से परियोजनाओं के अनुमोदन के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को हार्दिक धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि भाकृअनुप-केंद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान ने ना केवल मछली उत्पादन को दोगुना करने में बल्कि मछुआरों की क्षमता निर्माण और उन्हे आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि पांच आर्द्रभूमि में परियोजनाओं की अपार सफलता ने मत्स्य पालकों को मत्स्य उत्पादन बढ़ाने और तकनीको के उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया है तथा उनमें आत्मविश्वास की भावना जगाई है। उन्होंने संस्थान द्वारा प्रदत्त बुनियादी सुविधाओं लिए आभार व्यक्त किया जो सहकारी समिति के लिए एक परिसंपत्ति होगी।
श्री सनत कुमार सिंह, उप मात्स्यिकी अधिकारी, पूर्वी चंपारण ने संस्थान की वैज्ञानिक टीम द्वारा मछुआरों को जागरूकता पैदा करने और उनकी आजीविका बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण देने और बीज उत्पादन की लागत को कम करने के लिए पेन, पिंजरे और नर्सरी तालाबों आदि जैसे बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने तथा उपयुक्त आकार के बीज की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए संस्थान दल की सराहना की।
कृषि विज्ञान केंद्र, पिपराकोठी के प्रमुख श्री अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि विकास परियोजनाओं का कार्यान्वयन और उपलब्धियां उनके लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र इस क्षेत्र के विकास की दिशा में अनुसंधान और विकास गतिविधियों के लिए यथासंभव समर्थन देने के लिए तैयार है।
कार्यक्रम का समापन संस्थान के वैज्ञानिक श्री गणेश चंद्रा के औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया गया, जिसके बाद राष्ट्रीय गान हुआ। कार्यक्रम का समन्वय और संचालन श्री गणेश चंद्र, डा. सुमन कुमारी, डा.राजू बैठा, डा.मिशाल पी, श्रीमति गुंजन कर्नाटक, श्री मानबेन्द्र रॉय, श्री बबलू नस्कर और परियोजना के फील्ड कर्मचारियों द्वारा किया गया।
इस कार्यक्रम में पूर्वी चंपारण के कुल 500 आर्द्रभूमि मछुआरों ने इस कार्यशाला सह प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया तथा माननीय मंत्री ने "बिहार में आर्द्रभूमि मात्स्यिकी विकास" पर एक पुस्तिका का लोकार्पण किया।