भाकृअनुप-केंद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान में 22 मार्च, 2021 को विश्व जल दिवस का आयोजन
भाकृअनुप-केंद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान ने विश्व जल दिवस के अवसर पर दिनांक 22 मार्च, 2021 को वर्तमान थीम आधारित “दीर्घकालिक मछली पालन हेतु जल का महत्व” विषय पर एक ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया। इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि श्री यू.पी. सिंह, आईएएस, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग में पूर्व सचिव, जल शक्ति मंत्रालय और वर्तमान में कपड़ा मंत्रालय, भारत सरकार के सचिव थे। प्रो। गोविंद चक्रपाणि, कुलपति, बरहमपुर विश्वविद्यालय, ओडिशा अतिथि थे। कार्यक्रम का आरंभ डा. बी.के. दास, निदेशक के स्वागत भाषण से की गई। श्री सिंह ने अपने संबोधन में जल प्रबंधन के विभिन्न मुद्दों और जल संरक्षण के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने विशेष रूप से जल प्रबंधन के लिए पाँच सूत्री रणनीति - जल के उपयोग को घटाना, पुनःउपयोग, पुनर्चक्रण, पुनर्भरण और सम्मान करना- का उल्लेख किया। सम्मानित अतिथि, प्रो.चक्रपाणी ने जीवन संरक्षण, मत्स्य पालन और जैव विविधता को बनाए रखने के लिए जल प्रबंधन के महत्व पर प्रकाश डाला। डॉ. बि. के. दास ने दीर्घकालिक आर्द्रभूमि मत्स्य पालन के लिए जल के मूल्य निर्धारण पर एक प्रस्तुति दी जिसमें उन्होंने विभिन्न जलीय प्रजातियों के उत्पादन और संरक्षण वृद्धि में आर्द्रभूमि के महत्व को बताया। प्रो. कनीज़ फ़ातेमा, अध्यक्ष, मत्स्य संसाधन प्रबंधन, बांग्लादेश कृषि विश्वविद्यालय ने बांग्लादेश के दृष्टिकोण से स्थायी मत्स्य पालन के लिए जल प्रबंधन पर बात की। उन्होंने बांग्लादेश में अंतरस्थलीय मत्स्य पालन के लिए विभिन्न जल संसाधनों, जल प्रबंधन मुद्दों और जल के स्थायी उपयोग के लिए अपनाई गई प्रणालियों का उल्लेख किया। उन्होंने हितधारकों के बीच बेहतर समन्वय हेतु सुझाव भी दिया। प्रो. तुहीन घोष, निदेशक, समुद्रीविज्ञान अध्ययन, जादवपुर विश्वविद्यालय ने एकीकृत तटीय क्षेत्र प्रबंधन (ICZM) और तटीय मत्स्य पालन के लिए जल के मूल्यांकन पर प्रकाश डाला। प्रो. शरद जैन, विजिटिंग प्रोफेसर, बीवी=हरतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रूड़की ने संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. ए.के. साहू के साथ सतत मत्स्य पालन के लिए नदी बेसिन प्रबंधन पर एक प्रस्तुति दी जिसका शीर्षक था – दीर्घकालिक मत्स्य पालन के लिए नदीय बेसिन प्रबंधन : खुला जल संसाधनों के लिए महत्वपूर्ण। इस प्रस्तुति में विभिन्न महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर प्रकाश डाला गया जैसे 'जल अवरोध, पृथककरण, प्रदूषण, प्रवाह, जल प्रवाह वेग आदि। प्रो. जयगोपाल जेना, अध्यक्ष, सिविल इंजीनियरिंग, गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट, बीजू पटनायक प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर ने “जल विद्युत निर्माण के दौरान जलीय जीवन को बनाए रखने के लिए जल विज्ञान और पारिस्थितिकी के मध्य संतुलन” पर चर्चा की। उन्होंने जल विद्युत उत्पादन स्थलों में स्थायी मत्स्य पालन के लिए पारिस्थितिकी और जल विज्ञान दोनों के महत्व पर बल दिया।
इस ऑनलाइन संगोष्ठी में संस्थान के वैज्ञानिक और तकनीकी कर्मचारियों, छात्रों, अनुसंधान विद्वानों और किसानों ने भाग लिया। डॉ. एस. के. नाग, प्रभागाध्यक्ष, मत्स्य संसाधन मूल्यांकन और सूचना विज्ञान विभाग और कार्यक्रम समन्वयक ने धन्यवाद ज्ञापन दिया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।