अरुणाचल प्रदेश के बोर बील में पेन में मत्स्य बीज संचयन के अवसर पर जागरूकता कार्यक्रम
भाकृअनुप-केंद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, गुवाहाटी ने दिनांक 24 मार्च 2021 को अरुणाचल प्रदेश के जोना III गाँव में बोर बील तट पर सहायक निदेशक (मत्स्य), नामसाई जिला के सहयोग से “आजीविका उन्नयन हेतु पेन में मछली पालन तकनीक” पर एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर इस बील में स्थापित पेन के मत्स्य बीजों का संचयन किया गया । इस कार्यक्रम का उद्देश्य नेशनल मिशन ऑन हिमालयन स्टडिज़ द्वारा प्रायोजित परियोजना के तहत आजीविका सुधार के लिए राज्यों में पेन पालन तकनीक का मानकीकरण करना है। कार्यान्वयन अधिकरण के तौर पर संस्थान द्वारा सहायक निदेशक (मत्स्य), अरुणाचल प्रदेश के सहयोग से इस राज्य के आर्द्रक्षेत्र मछुआरों द्वारा बोरबिल में पेन पालन को बढ़ावा देने के लिए यह संयुक्त प्रयास किया जा रहा है। पर सर्वेक्षण में यह देखा गया है कि बोरबील में जलीय मैक्रोफाइट प्रचुर तौर पर पाये गए हैं। बील में लगभग 70 प्रतिशत मैक्रोफाइट के होने के कारण इसमें मत्स्य पालन करना संभव नहीं है। नेशनल मिशन ऑन हिमालयन स्टडिज़ (NMHS) परियोजना के तहत, अधिक मैक्रोफाइट ग्रसित क्षेत्रों को साफ किया गया जिससे पेन पालन किया जा सके। स्थानीय मछुआरा समुदायों की सक्रिय भागीदारी के साथ बील के 0.1 हेक्टेयर क्षेत्र के पांच पेन स्थापित किए गए । इन पेन क्षेत्रों में लेबियो रोहिता, सिरिनहिनस मृगला, एल. बाटा, हाइपोथालमिक्थिस मोलिट्रिक्स और साइप्रिनस कार्पिओ सहित कुल 25,000 मछलियों की अंगुलिकाओं को पेन क्षेत्रों में संचयित किया गया। संस्थान ने पालित मछलियों को खिलाने के लिए 3.5 टन सिफरी केजग्रो फ़्लोटिंग फीड भी प्रदान किया।
इस जागरूकता कार्यक्रम में श्री पी. सी. भट्टाचार्य, सहायक निदेशक (मत्स्य), नामसाई अरुणाचल प्रदेश; श्री आर. कुलश्रेष्ठ, जिला मत्स्य अधिकारी; आइरोम मोहिन्द्रो सिंह, मत्स्य अधिकारी; बिमान पनग्योक, मत्स्य प्रदर्शन अधिकारी, स्थानीय प्रतिभागी और संस्थान दल के सदस्य उपस्थित हुये। इसमें गाँव की कुल 51 मछु आरे (जिनमें 17 महिलाएँ भी शामिल हैं) ने कार्यक्रम में भाग लिया। डॉ. एस.सी.एस. दास, वैज्ञानिक ने अधिकारियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया और यह बताया कि मछुआरों की आजीविका में सुधार के लिए पेन पालन तकनीकों का प्रदर्शन किया गया। उन्होंने मछुआरों से संस्थान से तकनीकी सहायता के साथ पेन पालन तकनीक को लागू करने के लिए प्रयास करने का आग्रह किया। नेशनल मिशन ऑन हिमालयन स्टडिज़ के प्रतिनिधि, श्री पी. सी. भट्टाचार्य से संस्थान के प्राप्त सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। श्री धन्याबाद गोगोई, गबूरा गाँव और मछुआरों के प्रतिनिधियों ने संस्थान द्वारा दिए गए सहयोग के लिए धन्यवाद व्यक्त किया और अपने साथी मछुआरों से पेन पालन तकनीकों को अपनाने का आग्रह किया। डॉ. सोना येंगकोपम, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने फीडिंग गतिविधियों, जल की गुणवत्ता और मत्स्य स्वास्थ्य निगरानी सहित संचयन पश्चात प्रबंधन अभ्यास के बारे में मछुआरों को समझाया। उन्होंने परियोजना को लागू करने के लिए NMHS, अल्मोड़ा द्वारा दिए गए वित्तीय अनुदान को स्वीकार किया। परियोजना के सुगम और सफल कार्यान्वयन के लिए संस्थान के निदेशक डॉ. बि. के. दास ने परियोजना गतिविधियों और मछुआरों को उनकी सक्रिय भागीदारी और सहयोग के लिए मात्स्यिकी विभाग, नामसाई के अधिकारियों को भी धन्यवाद दिया। पेन पालन में उपयोग के लिए मछुआरों को सिफरी केजग्रो फीड वितरित किए गए थे। संस्थान के इस पहल से यह आशा की जा रही है कि इस जागरूकता कार्यक्रम और प्रदर्शन के माध्यम से, बोर बील में पेन पालन को अपनाया जाएगा जिससे मछुआरों की आय और आजीविका में आशातीत वृद्धि होगी।