राज्य सरकार के मत्स्य विभाग के अधिकारियों के लिए अन्तर्स्थलीय खुले जल निकायों में मछली पकड़ने के डेटा के संग्रह पर दृष्टांत मूलक ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम
मछली पकड़ने के डेटा का संग्रह और मछली पकड़ने के आकलन के लिए एक उपयुक्त रणनीति का चयन करना और लागू करना राज्य के मत्स्य पालन विभागों के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय रहा है क्योंकि यह जटिल और विविध है। मछली पकड़ने के आकलन के ऐसे मुद्दों को हल करने के लिए, भाकृअनुप-केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर ने 6 जुलाई 2021 को "अन्तर्स्थलीय खुले जल निकायों में मछली पकड़ने के डेटा के संग्रह पर दृष्टांत मूलक तकनीक" पर एक ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। प्रशिक्षण का उद्देश्य, मुख्य रूप से नमूना तकनीकों और उसके अनुप्रयोगों की अवधारणाओं की खोज कर और डेटा संग्रह से परिचित होकर अन्तर्स्थलीय खुले जल से पकड़ी गई मछलियों के डेटा का पीएमएमएसवाई कार्यक्रम के माध्यम से अनुमान लगाने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित करना हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम में 125 प्रतिभागियों ने अलग अलग राज्य के मत्स्य विभागों से भाग लिया और समृद्ध हुए। हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, असम, त्रिपुरा, नागालैंड, मिजोरम, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, पंजाब, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से मत्स्य विभागों के अधिकारियों ने उत्साहपूर्वक प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया। ऑनलाइन प्रशिक्षण सत्र में बिहार के 50 अधिकारी, सिक्किम के 20 अधिकारी, त्रिपुरा के 12 अधिकारियों ने भाग लिया। संस्थान के माननीय निदेशक डॉ. बि. के. दास, महोदय ने इस कार्यक्रम के निदेशक भी रहे और उन्होनें अपने स्वागत भाषण में इस तरह के प्रशिक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया और यह भी बताया कि इस उन्नत प्रशिक्षण के माध्यम से मत्स्य क्षेत्र को कैसे लाभ पहुंचाएगा। उन्होंने मछली पकड़ने के डेटा के संग्रह के लिए एक ऑनलाइन ऐप विकसित करने की के बारे में भी उल्लेख किया। डॉ. बि. के. दास ने "अन्तर्स्थलीय खुले पानी में मत्स्य पालन और मछली पकड़ने के पैटर्न का अवलोकन" पर एक व्याख्यान दिया। उन्होंने लागत और लाभ के विश्लेषण और जर्मप्लाज्म की कमी को रोकने के महत्व पर जोर दिया। इसके बाद संस्थान की वैज्ञानिक श्रीमती चायना जाना, द्वारा "तालाबों और टैंकों से मछली पकड़ने के डेटा का अनुमान" पर एक व्याख्यान दिया, जिसमें उन्होंने विभिन्न तकनीकों और कैच मूल्यांकन सर्वेक्षण की विधि के बारे में बताया। डॉ. मलय नस्कर, संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक, ने "नदी, मुहाना, आर्द्रभूमि और जलाशयों में मछली पकड़ने के डेटा का अनुमान" पर एक व्याख्यान का प्रदर्शन किया। उन्होंने डेटा संग्रह, स्तरीकरण रणनीतियों और कैच अनुमान की सरलीकृत तकनीकों की कमियों के बारे में चर्चा की।
व्याख्यान के बाद बातचीत और चर्चा हुई, जिसके दौरान राज्य के मत्स्य अधिकारियों ने अपनी शंकाओं को दूर किया। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम एक बड़ी सफलता रही और यह निर्णय लिया गया कि इसी तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम और भी संचालित किए जायेंगे।