‘भारत का अमृत महोत्सव’ और ‘राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस 2021’ के अवसर पर 10 जुलाई, 2021 को भाकृअनुप –केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र गुवाहाटी में ऑनलाइन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।
'भारत का अमृत महोत्सव' और ‘राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस 2021’ के अवसर पर, भाकृअनुप–केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र गुवाहाटी ने असम मत्स्य विकास निगम (AFDC) लिमिटेड, गुवाहाटी के सहयोग से 10.07.21 को "असम के बील मछुआरों के लिए पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन" पर एक ऑनलाइन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। असम के 20 जिलों में फैले 558 से अधिक बील पट्टेदारों, मछुआरों और मछुआरों को-ऑपरेटिव सोसाइटी के सदस्यों ने 105 बील का प्रतिनिधित्व किया और एएफडीसी के फील्ड अधिकारियों ने ऑनलाइन कार्यक्रम में भाग लिया। संस्थान के गुवाहाटी क्षेत्रीय केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. डी. देबनाथ ने प्रतिभागियों और गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। डॉ. बि .के. दास, निदेशक, भाकृअनुप –केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर भी ऑनलाइन में जुड़े और उन्होनें राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस के महत्व और अपने गुवाहाटी क्षेत्रीय केंद्र के माध्यम से असम के बील मत्स्य पालन के विकास के लिए अनुसंधान एवं विकास सहायता प्रदान करने के लिए संस्थान द्वारा किए गए प्रयासों के बारे में बताया। श्री पी. के. हजारिका, परियोजना निदेशक और ओएसडी, एएफडीसी लिमिटेड ने असम के माननीय मुख्यमंत्री के नेतृत्व में इन बील से मछली उत्पादन और मछुआरों की आय में वृद्धि करते हुए निगम द्वारा अपने नियंत्रण में बील के पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए उठाए गए कदमों की सराहना की। असम के मत्स्य मंत्री, एएफडीसी लिमिटेड के अध्यक्ष और असम के अतिरिक्त मुख्य सचिव, (श्री रबी शंकर प्रसाद, आईएएस) से प्राप्त सहायता के बारे में भी बताया। उन्होंने संस्थान के निदेशक डॉ. बि. के. दास; डॉ. बी. के. भट्टाचार्य, प्रभारी, क्षेत्रीय केंद्र गुवाहाटी के साथ-साथ केंद्र के सभी वैज्ञानिक/तकनीकी और अन्य स्टाफ सदस्य को धन्यवाद दिया। डॉ. बी. के. भट्टाचार्य, प्रभारी, क्षेत्रीय केंद्र गुवाहाटी ने कहा कि असम के बील से औसत मछली उत्पादन 1996-98 में 173 किलोग्राम / हेक्टेयर / वर्ष से बढ़कर हाल के वर्षों में 254 किलोग्राम / हेक्टेयर / वर्ष हो गया है और यह बील की पर्यावरणीय स्थिति के सुधार करने से संभव हुआ हैं जिसमें मैक्रोफाइट्स का नियंत्रण, नदी के कनेक्शन को पुनर्जीवित करना आदि शामिल हैं। संस्थान के तकनीकी समर्थन से कार्प अंगुलिमीनों के पूरक स्टॉकिंग का अभ्यास करने वाली बील में औसत मछली उत्पादन दर बढ़कर 454 किलोग्राम / हेक्टेयर / वर्ष हो गई है। संस्थान ने हाल ही में डॉ. जे. के. जेना, उपमहानिदेशक (मात्स्यिकी विज्ञान), भाकृअनुप,नई दिल्ली और संस्थान के निदेशक डॉ. बि. के. दास, के नेतृत्व में 9 जिलों में स्थित असम के 19 बील में पूरक स्टॉकिंग और 5 बील के पेन में पूरक स्टॉकिंग कार्यक्रम शुरू किया है। श्री ज्योतिष सैकिया, कार्यपालक अभियंता; श्री डी. एस. पामे, सहायक, प्रोजेक्ट निदेशक; श्री द्विपेन ब्रह्मा, वरिष्ठ तकनीकी सहायक, और आई/सी-लोअर असम डिवीजन और सुश्री प्रियंका भराली, कनिष्ठ प्रशासनिक सहायक ने कार्यक्रम में एएफडीसी लिमिटेड का प्रतिनिधित्व किया। डॉ. एस. येंगकोकपम, वरिष्ठ वैज्ञानिक; श्री ए. के. यादव, डॉ. पी. दास, डॉ. एस. सी. एस. दास, सुश्री नीति शर्मा, डॉ. एन. एस. सिंह, वैज्ञानिक; श्री बी.सी. रे, एसटीओ: ए. काकाती, एसटीए और शोधार्थीयों ने संवादात्मक कार्यक्रम में भाग लिया।