सुंदरबन में याश प्रभावित क्षेत्र के अनुसूचित जनजाति महिला मछुआरों के लिए सजावटी मत्स्य पालन पर क्षमता निर्माण कार्यक्रम
भाकृअनुप – केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान ने कुलतोली के याश (सुपर साइक्लोन) प्रभावित महिला मछुआरों के लिए सजावटी मछली पालन पर पांच दिनों का क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किया है। कुलतोली दक्षिण 24 परगना, पश्चिम बंगाल के बसंती ब्लॉक (सुंदरबन क्षेत्र) के अंतर्गत एक गांव है और इस क्षेत्र में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी का प्रभुत्व है और ज्यादातर लोग चावल-मछली उत्पादन पर आर्थिक तौर पर और आजीविका के रूप में निर्भरशील है। संस्थान के निदेशक डॉ. बि. के. दास के नेतृत्व में कुलतोली क्षेत्र में एक सजावटी मछली गांव विकसित करने की योजना बनाई गई थी, क्योंकि वहाँ की महिला मछुआरों ने सजावटी मत्स्य पालन के लिए अपनी रुचि दिखाई थी। प्रारंभिक चरण में लाभार्थियों को 50 सजावटी टैंक, मछली बीज, मछली चारा और अन्य सामान वितरित किए गए। संस्थान द्वारा लाभार्थियों को सभी सहायता प्रदान की गई। दूसरे चरण में इस क्लस्टर से 50 महिला लाभार्थियों को सजावटी मछली पालन पर प्रशिक्षित किया गया ताकि 200 और महिला लाभार्थियों को इससे लाभ मिल सके । प्रतिभागियों को सजावटी मत्स्य पालन के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षित किया गया, जैसे - देशी और विदेशी सजावटी मछलियों की पहचान, सजावटी मछलियों को संभालना, जीवित वाहक और अंडे की परतों की देखभाल, नर मादा अलगाव और प्रजनन, फ़ीड की आवश्यकता, लाइव फीड संग्रह और कल्चर, फ़ीड तैयार करना, एहतियाती उपाय, सजावटी मछली रखने में सामान्य रोग और उनकी दवाएं और मछलीघर और सहायक उपकरण आदि का निर्माण शामिल हैं। निदेशक महोदय ने प्रत्येक महिला मछुआरे को सजावटी मछली पालन के विषय पर एक पुस्तिका प्रदान किया । इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान सजावटी मछली गांव का भी उद्घाटन किया गया। यह कार्यक्रम क्षेत्र में स्थित एक गैर सरकारी संगठन ‘मिलन तीर्थ सोसाइटी’ के सहयोग से आयोजित किया गया था।