भारत का अमृत महोत्सव के अवसर पर डॉ. एस. अय्यप्पन, पूर्व सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग तथा महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का संस्थान के प्लेटिनम जयंती वर्ष का प्रथम व्याख्यान
भारत के स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में भारत का अमृत महोत्सव और भाकृअनुप-केंद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान की स्थापना के 75वें वर्ष में संस्थान में व्याख्यान श्रृंखला रखी गई है। इसी क्रम में दिनांक 3 अगस्त 2021 को ऑनलाइन मोड में प्रख्यात मात्स्यिकी वैज्ञानिक, डॉ. एस. अय्यप्पन, पूर्व सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग तथा महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की वक्तृता आयोजित की गई। डॉ. अय्यप्पन के व्याख्यान का शीर्षक था, “सीआईएफआरआई: रिमेम्बरिंग विद रेवरेंस" (सिफ़री: एक अभूतपूर्व यादों के झरोखे से)। इस सत्र में माननीय उप-महानिदेशक (मत्स्य विज्ञान), मात्स्यिकी जगत के गणमान्य वैज्ञानिक, संस्थान के पूर्व निदेशकगण, संस्थान के अधिकारी एवं कर्मचारी और मत्स्य पालन से जुड़े किसान आदि ने भाग लिया।
व्याख्यान सत्र के आरंभ में संस्थान के निदेशक, डॉ. बि. के. दास ने डॉ. एस. अय्यप्पन और सभी गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों को संस्थान की विकास यात्रा के बारे में संक्षेप में बताया।
डॉ. अय्यप्पन ने अपनी सेवाकाल सिफ़री के वैज्ञानिक से आरंभ किया था। निदेशक महोदय ने परिषद के अंतर्गत डॉ. अय्यप्पन की उपलब्धियों (सिफ़री में वैज्ञानिक से लेकर में शीर्ष पद, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक बनने तक की यात्रा) पर प्रकाश डाला।
डॉ. अय्यप्पन ने अपने व्यखायान के आरंभ में निदेशक, डॉ. बि. के. दास को परिषद की प्रतिष्ठित सरदार पटेल सर्वश्रेष्ठ आईसीएआर संस्थान पुरस्कार- 2020 और रफी अहमद किदवई पुरस्कार जीतने के लिए बधाई दी। उन्होंने सिफरी के गौरवशाली उपलब्धियों का संक्षेप में वर्णन किया। उन्होंने भारत में कृषि और मत्स्य पालन क्षेत्र में वर्तमान विकास को बताया। उन्होंने वर्ष 1947 से वर्तमान तक राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली (एनएआरएस) में सिफ़री के योगदान के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने विजन 2030 और 2050 पर उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ मछली किसानों की आय दोगुनी करने के बारे में संस्थान द्वारा विकसित पिंजरा और पेन पालन प्रौद्योगिकियों के बारे में बताया, जो न केवल जलाशयों और आर्द्रभूमि से उत्पादन बढ़ाने में मदद करते हैं, बल्कि मछुआरों की आजीविका और आय वृद्धि करते हैं। उन्होंने प्रौद्योगिकी के विलय, मत्स्य पालन क्षेत्र में नवाचार और स्टार्ट अप, कोविड-19 और मत्स्य पालन और जलीय कृषि पर इसके प्रभाव, प्रधानमंतर मत्स्य सम्पदा योजना के घटकों, प्रमुख लक्ष्यों और अंतर्स्थलीय मत्स्य पालन से संबंधित योजनाओं पर जोर दिया। उन्होंने सिफ़ाई के उन सभी गणमान्य वैज्ञानिकों को धन्यवाद देते हुए अपने व्याख्यान का समापन किया, जिन्होंने भारत में नीली क्रांति लाने में मदद की और देश को गौरवान्वित किया।
डॉ. एमवी गुप्ता, पूर्व सहायक महानिदेशक, वर्ल्ड फिश और वर्ल्ड फूड पुरस्कार विजेता डॉ. अय्यप्पन को उनके इतने सूचनापरक और अनुपम व्याख्यान के लिए धन्यवाद दिया और संस्थान में अपने कार्य के बारे में बताया।
डॉ ए. एकनाथ, पूर्व महानिदेशक, एनएसीए ने अपने संबोधन में डॉ. एस. अय्यप्पन के उत्कृष्ट व्याख्यान और मत्स्य पालन और कृषि क्षेत्र में सेवा देने के लिए आभार प्रकट किया। उन्होंने इस वेबिनार को आयोजित करने के लिए सिफरी को बधाई दी।
डॉ. दिलीप कुमार, पूर्व कुलपति और निदेशक, भाकृअनुप-केन्द्रीय मत्स्य शिक्षा संस्थान ने अपने संबोधन में डॉ. एस. अय्यप्पन को उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कृषि के साथ-साथ मत्स्य पालन क्षेत्र में डॉ. अय्यप्पन के योगदान की सराहना की ।
डॉ. जे.के. जेना, उप-महानिदेशक (मत्स्य विज्ञान), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने अपने संबोधन में कहा कि डॉ. एस अय्यप्पन की प्रस्तुति मंत्रमुग्ध कर देने वाली और मनमोहक थी। उन्होंने इस अद्भुत व्याख्यान के लिए डा. अय्यप्पन को बधाई दी।
डॉ. के सुरेश, आईएएस (सेवानिवृत्त) और पूर्व सिफरियन ने कहा कि यह व्याख्यान संस्थान से उनके जुड़ाव और कार्यों की याद दिलाया है। उन्होंने मत्स्य पालन क्षेत्र में डॉ अय्यप्पन के योगदान पर भी जोर दिया।
डॉ. ए.पी शर्मा, पूर्व निदेशक, भाकृअनुप-केंद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान ने डॉ. एस. अय्यप्पन को संस्थान की प्लेटिनम जुबली के पहले व्याख्याता होने के लिए बधाई दी। उन्होंने डॉ. अय्यप्पन ने अंतर्स्थलीय क्षेत्र में योगदान की सराहना की।
डॉ. एन. सारंगी, पूर्व निदेशक, भाकृअनुप-केंद्रीय मीठा जलजीव पालन अनुसंधान संस्थान (सीफा) ने डॉ. अय्यप्पन को मत्स्य पालन क्षेत्र में और सीफा के इतिहास के बारे में उनकी महान योगदान के लिए बधाई दी ।
डॉ. वी. वी सुगुणन, पूर्व सहायक महानिदेशक (अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने डॉ. अय्यप्पन को सिफ़री के बारे में उनकी उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए बधाई दी। उन्होंने अंतर्स्थलीय क्षेत्र के लिए सिफ़री योगदान पर जोर दिया।