भाकृअनुप- केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर ने ‘एनएमसीजी परियोजना’ के तहत सीआईएफआरआई@75 और इंडिया@75 की महोत्सव को मनाने के लिए गंगा नदी के किनारे कई स्थानों पर 5 लाख मछली जर्मप्लाज्म का रैन्चिंग किया

भाकृअनुप- केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर, भारत की आजादी के 75वें वर्ष के साथ-साथ अपनी स्थापना के 75वें वर्ष को भी 'आजादी का अमृत महोत्सव' कार्यक्रम के रूप में मना रहा है। इस महत्वपूर्ण अवसर को मनाने के लिए, संस्थान ने गंगा नदी के विभिन्न हिस्सों में भारतीय प्रमुख कार्प (लेबियो रोहिता, लेबियो कतला और सिरहिनास मृगला) के 5 लाख मछली जर्मप्लाज्म को प्रवाहित किया। 5 अगस्त 2021 को झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों के महाराजपुर, साहेबगंज, फरक्का, जंगीपुर और बरहामपुर जैसे पांच अलग-अलग स्थानों से 'नमामि गंगे' परियोजना के तहत इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
गंगा नदी में विशेष रूप से भारतीय प्रमुख कार्प (आईएमसी) जैसी आकर्षक और बेशकीमती मछलियों की संख्या में कई मानवजनित तनावों के कारण, इस अवधि में गंभीर रूप से गिरावट आई है। इस प्रकार, गंगा की इन अत्यधिक मांग वाली मछलियों को गंगा के चिन्हित किए गए हिस्सों में रैन्चिंग के माध्यम से फिर से स्थापित करना समय की मांग है, इसलिए गंगा नदी के समग्र अन्तर्स्थलीय मत्स्य प्रबंधन और जैव विविधता संरक्षण के लिए, संस्थान द्वारा की गई यह एक पहल है।
गंगा नदी के किनारे 250 से अधिक मछुआरों को संवेदनशील बनाया गया और उन्हें नदी के महत्व के बारे में बताया गया। जन जागरूकता अभियान के तहत मछुआरों को बेशकीमती हिल्सा सहित गंगा की मछलियों के संरक्षण के महत्व को समझाते हुए जागरूक किया गया। जागरूकता अभियान में, गंभीर रूप से लुप्तप्राय गंगा डॉल्फिन प्रजातियों के बारे में भी सभी को सजग किया गया ताकि नदी प्रणाली में इसकी स्वस्थ आबादी सुनिश्चित की जा सके।
डॉ. बि. के. दास, संस्थान के निदेशक और ‘एनएमसीजी परियोजना’ के प्रमुख अन्वेषक के नेतृत्व में कार्यक्रम को बड़ी सफलता के साथ रूप दिया गया। फरक्का बैराज के महाप्रबंधक, झारखंड मत्स्य सहकारी समिति के निदेशक और अन्य स्थानीय गणमान्य व्यक्तियों ने इस पहल की शोभा बढ़ाई। कार्यक्रम का आयोजन कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए विभिन्न घाटों पर मास्क और सैनिटाइजर के वितरण के साथ किया गया। संस्थान के वैज्ञानिक, श्री एच.एस. स्वैन और श्री एम.एच. रामटेके ने इस कार्यक्रम का समन्वय किया।


  

  


Updated on 10/08/2021


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2017 Last updated on 10/08/2021