भाकृअनुप- केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर ने "गंगा नदी में हिल्सा मत्स्य संरक्षण और आजीविका सुधार पर संवेदीकरण" पर वर्चुअल वेबिनार का आयोजन किया
भारत की आजादी के 75 साल के उपलक्ष्य में, भारत का अमृत महोत्सव को मानते हुए, भाकृअनुप- केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर ने 11 अगस्त 2021 को "गंगा नदी में हिल्सा मत्स्य संरक्षण और आजीविका सुधार पर संवेदीकरण" पर एक ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया। वेबिनार के मुख्य उद्देश्य थे 1) नीतिगत हस्तक्षेप के माध्यम से गंगा नदी में हिल्सा मत्स्य पालन का संरक्षण करना 2) हिलसा संरक्षण के प्रति मछुआरों में जागरूकता पैदा करना। संस्थान के निदेशक डॉ. बि.के.दास ने भारत, बांग्लादेश और म्यांमार के सभी आमंत्रित वक्ताओं और विभिन्न राज्यों के मत्स्य पालन समुदायों, छात्रों और सरकारी अधिकारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिभागियों का स्वागत किया। डॉ. दास ने पिछले दशक में संस्थान द्वारा किए गए हिल्सा अनुसंधान और जागरूकता कार्यक्रमों के बारे में अपनी प्रस्तुति में बताया। डॉ. दास ने हिलसा के प्रवासीय स्थिति और फरक्का बैराज के प्रभाव पर प्रकाश डाला, मेस के आकार का नियमन, अत्यधिक मछली पकड़ना और किशोर मछलियों की हत्या, गंगा नदी में हिल्सा मत्स्य पालन के लिए प्रमुख चुनौतियां हैं। इसके अलावा, डॉ. दास ने गंगा नदी में पूर्णवयस्क हिल्सा पालन, हिल्सा की कैप्टिव ब्रीडिंग और गंगा नदी में इसके प्रवास (अपस्ट्रीम/डाउनस्ट्रीम) को रिकॉर्ड करने के लिए हिलसा की टैगिंग सहित संस्थान की पहलों पर भी प्रकाश डाला। डॉ. वाई. एस. यादव, निदेशक, बंगाल की खाड़ी कार्यक्रम अंतर-सरकारी संगठन (बीओबीपी), चेन्नई, ने "हिल्सा मत्स्य संरक्षण और स्थिरता की दिशा में बीओबीपी-आईजीओ के प्रयास: भारतीय परिप्रेक्ष्य" पर अपनी प्रस्तुति दी और भारतीय राष्ट्रीय कार्य योजना (एनपीओए) पर प्रकाश डाला। डॉ. यादव ने कहा कि हिल्सा के लिए भारत में एनपीओए पर अब तक कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई है। प्रो. अब्दुल वहाब, इकोफिश, वर्ल्डफिश, बांग्लादेश के टीम लीडर ने "हिल्सा संरक्षण और मछुआरों के आजीविका सुधार: बांग्लादेश से केस स्टडीज" पर अपनी प्रस्तुति दी। प्रो. वहाब ने सामुदायिक भागीदारी, जन जागरूकता, हिल्सा पकड़ने की प्रतिबंध अवधि के दौरान वैकल्पिक रूप से योजनाएं और सख्त निगरानी और प्रवर्तन, सरकार के प्रावधान के माध्यम से प्राप्त महत्वपूर्ण परिणामों को विस्तार से बताया। इस प्रक्रिया के माध्यम से, प्रो. वहाब ने कहा कि बांग्लादेश ने 5 वर्षों की अवधि में 9.2% तक ज्यादा हिलसा उत्पादन हासिल किया है। डॉ. माइक एकेस्टर, क्षेत्र निदेशक, दक्षिण पूर्व एशिया और प्रशांत, वर्ल्डफिश, म्यांमार ने "म्यांमार में हिल्सा मत्स्य प्रबंधन के वित्तपोषण के लिए वित्तीय सुधार" पर प्रस्तुति दिया। डॉ. माइक ने हिल्सा मत्स्य पालन के अलग अलग चरणों पर प्रकाश डाला और बताया कि कैसे एक हिल्सा मछली इरावदी नदी के एक सहायक नदी से बेजिंग में किसी के खाने की मेज पे जाती है? कार्यक्रम का समापन प्रधान वैज्ञानिक डॉ. ए.के.दास द्वारा प्रस्तावित धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसके बाद राष्ट्रगीत हुआ। कार्यक्रम के दौरान वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर कुल 100 प्रतिभागी सक्रिय रूप से शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. ए. के. साहू, डॉ. ए. के. दास, श्री डी. के. मीना, श्री संथाना कुमार और श्री एम. रामटेके ने किया।