भाकृअनुप-केन्द्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफ़री) द्वारा अनुसूचित जाति उप-योजना कार्यक्रम के तहत सुंदरबन के यास चक्रवात प्रभावित मछली किसानों को सहायता प्रदान करना
चक्रवात यास ने सुंदरबन, तटीय ओडिशा और पश्चिम बंगाल को प्रमुख तौर पर प्रभावित किया है और इससे मत्स्य पालन और मवेशी सहित कृषि फसलों को बहुत ही नुकसान पहुंचा है। सिफ़री ने मछुआरों को इस संकट से उबारने के लिए अनुसूचित जाति उप-योजना कार्यक्रम के तहत उनके छोटे और सीमावर्ती तालाबों में मत्स्य पालन के लिए आवश्यक सामान प्रदान किया जिससे इन किसानों की आजीविका का पुनरुद्धार हो सके। इस दिशा में संस्थान ने दिनांक 2-3 सितंबर 2021 को सुंदरबन के कुलटोली में एक जन जागरूकता शिविर-सह-आदान वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया। इस अवसर पर गोसाबा और बासंती ब्लॉक के 14 ग्राम पंचायतों के अधीनस्थ 32 बस्तियों में मछुआरों को उनके घर के पीछे स्थित 0.02 हेक्टेयर से 0.04 हेक्टेयर तालाब में मछली पालन के लिए सहायता सामाग्री प्रदान की गई। इस दो-दिवसीय कार्यक्रम में संस्थान के साथ रोटरी क्लब ऑफ भुवनेश्वर रॉयल और कुलटोली मिलन तीर्थ सोसाइटी ने सहयोग दिया जिसका आयोजन कुलटोली के नारायणतला रामकृष्ण विद्या मंदिर खेल के मैदान में किया गया। इसमें 500 लाभार्थियों (प्रत्येक दिन - 250 लाभार्थी) ने भाग लिया जिनमें 20 प्रतिशत महिलायें भी शामिल हैं। प्रत्येक मछुआरे को 105 किलो चारा मछली, 750 बड़ी अंगुलिकाएँ और 20 किलो चूना दिया गया। तालाब के जल की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए अंगुलिका संचयन के एक सप्ताह पहले (25 अगस्त 2021) ही तालाब में चूना डाल दिया गया था।
माननीय प्रधानमंत्री की लक्षित योजना, "किसानों की आय दोगुनी करने" की दिशा में 32 लाख रुपये के निवेश से रु. 2.0 करोड़ राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा गया था पर वास्तविकता में चार गुना राजस्व प्राप्ति हुई है। इसके अलावा, इसका उद्देश्य संस्थान द्वारा अनुसूचित जाति उप-योजना कार्यक्रम द्वारा मछुआरों की आजीविका को पुनर्जीवित करना भी था। संस्थान के निदेशक, डॉ बि के दास ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया और सभा को संबोधित किया। उन्होंने मछुआरों को यह बताया कि किस प्रकार से मछली पालन द्वारा आय और आजीविका वृद्धि के साथ स्थायी कृषि पद्धतियों की सहायता से राजस्व में वृद्धि की जा सकती है। सिफ़री ने इससे पहले भी फानी चक्रवात प्रभावित मछुआरों को मत्स्य पालन पुनरुद्धार हेतु सहायता प्रदान किया हैं और वे इससे बहुत लाभान्वित भी हुए हैं। यास चक्रवात से तालाबों में खाराजल के प्रवेश के कारण मछलियों को बहुत नुकसान पहुंचा है। कुलटोली मिलन तीर्थ सोसाइटी के संस्थापक अध्यक्ष ने सिफ़री के इस पहल की बहुत सराहना की है। उन्होने कहा कि सुंदरबन क्षेत्र में यह प्रथम प्रयास है, जिसमें मछली पालन के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर लाभार्थियों को शामिल किया गया है और इससे उनकी आजीविका पुनरुद्धार में बहुत सहायता होगी ।
इस अवसर पर डॉ. ए. के दास, प्रभारी, प्रशिक्षण एवं विस्तार इकाई तथा डॉ. पी.के. परिदा, नोडल अधिकारी, संस्थान अनुसूचित जाति उप-योजना कार्यक्रम भी उपस्थित थे। उन्होने यह बताया कि ऐसे कार्यक्रम किस प्रकार से मछुआरों को लाभान्वित कर सकते हैं। कार्यक्रम का समन्वय और प्रबंधन कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए किया गया था। इस कार्यक्रम के सफल आयोजन में श्री सुजीत चौधरी, डॉ ए साहा और डॉ श्रेया भट्टाचार्य तथा मिलन तीर्थ सोसाइटी के कर्मचारियों ने सहयोग दिया है।