भाकृअनुप-केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान द्वारा "गंगा नदी में हिल्सा और डॉल्फिन संरक्षण" पर जागरूकता कार्यक्रम
भाकृअनुप-केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर ने पश्चिम बंगाल के फरक्का (मुर्शिदाबाद जिला) में "गंगा नदी में हिल्सा और डॉल्फिन संरक्षण" पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा अभियान (एनएमसीजी) कार्यक्रम के तहत दिनांक 20 सितंबर 2021 को आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य थे : i) गंगा नदी में, विशेष तौर पर फरक्का में हिलसा और डॉल्फिन मछलियों के संरक्षण के प्रति मछुआरों को जागरूक करना, तथा ii) गंगा नदी को स्वच्छ करने के प्रति जागरूकता पैदा करना। इस समारोह में डॉ. बि. के. दास, निदेशक, भाकृअनुप-केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान; श्री आर. अझगेसन, महाप्रबंधक, फरक्का बैराज प्राधिकरण (एफबीए); श्री विनीत पांडे, सहायक निदेशक, भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के प्रतिनिधि उपस्थित थे। डॉ. दास ने फरक्का में गंगा नदी में हिल्सा पुनरुद्धार हेतु संस्थान के प्रयासों और डॉल्फिन संरक्षण की दिशा में की गयी नई पहल पर प्रकाश डाला। डॉ. दास ने गंगा नदी में डॉल्फ़िन परियोजना पर माननीय प्रधानमंत्री के कार्यक्रम पर विस्तार से चर्चा की और मछुआरा समुदायों से डॉल्फ़िन और किशोर हिल्सा के पकड़ को रोकने के लिए आग्रह किया क्योंकि इसके कारण फरक्का बैराज में हिलसा उत्पादन में गिरावट देखने को मिल रहा है। साथ ही, फरक्का बैराज के ऊपरी भाग में हिलसा मात्स्यिकी पुनरउद्धार के लिए एफबीए के गेट नंबर 25 और 25ए पर बने फिशलॉक के नवीनीकरण का अनुरोध किया गया। एफबीए के महाप्रबंधक, श्री आर. अझगेसन ने मछुआरों को सलाह दी कि वे हिल्सा पकड़ने के लिए छोटे जालछिद्रों वाले जालों का उपयोग न करें। श्री अझगेसन ने आगे बताया कि मछली पकड़ने में जहरीली तत्वों के उपयोग से बैराज के निचले हिस्से का जल प्रदूषित और जहरीला होता जा रहा है, अतः उन्होंने सीआईएसएफ के प्रभारी को इस प्रक्रिया में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया। श्री विनीत पांडे, सहायक निदेशक, आईडब्ल्यूएआई ने भी हिल्सा की घटती आबादी और नदी में गंगा के प्रदूषण पर चिंता व्यक्त की। श्री पांडे ने कहा कि नए प्रस्तावित नौवाहन चैनल में फिश पास के डिजाइन से हिलसा को फीडर कैनल से गंगा नदी के मुख्य चैनल तक जाने में मदद मिलेगी। कार्यक्रम में संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक और समन्वयक, डॉ. ए. के. साहू ने मछुआरों से हिलसा सुधार कार्यक्रम और गंगा नदी में डॉल्फिन संरक्षण की दिशा में एनएमसीजी परियोजना में सहयोग के लिए आग्रह किया। डॉ. साहू ने बताया कि संस्थान उन्नत तकनीकों के माध्यम से गंगा नदी के मध्य खंड में हिल्सा मछली के जनसंख्या में सुधार के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। इस कार्यक्रम में फरक्का बैराज के ऊपरी और निचले भाग और फीडर नहर से जुड़े लगभग 216 मछुआरों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन संस्थान के निदेशक, डॉ. बि. के. दास तथा जलशक्ति मंत्रालय के राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा अभियान परियोजना कर्मियों के द्वारा किया गया।