भाकृअनुप- केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान ने भारत का अमृत महोत्सव मानते हुए अनुसूचित जनजाति घटक के तहत मत्स्य पालन के सतत प्रबंधन के लिए हितधारकों की बैठक का आयोजन
संस्थान ने भारत का अमृत महोत्सव के एक हिस्से के रूप में अनुसूचित जन जातीय घटक के तहत देश के विभिन्न कोनों में मत्स्य पालन के स्थायी प्रबंधन के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में 22 सितंबर, 2021 को एक हितधारक बैठक का आयोजन किया। बैठक का मुख्य उद्देश्य अधिकतम उत्पादकता के साथ- साथ लाभप्रदता की वृद्धि करना था। इससे जुड़े संभावनाओं और लाभों के बारे में हितधारकों के साथ चर्चा की गई। इस बैठक में, हितधारक जनजातीय समुदायों से थे, जिन्हें संस्थान द्वारा देश के विभिन्न चयनित क्षेत्रों में समय-समय पर मछली के बीज, चारा, चूना, जाल, मूंगा, पेन, नाव आदि जैसे विभिन्न मत्स्य आदानों के साथ समर्थन दिया गया है। माननीय प्रधान मंत्री के 'किसानों की आय को दोगुना करने' और 'प्रति बूंद अधिक फसल' के प्रमुख कार्यक्रम को सहभागी मोड में प्राप्त करने के लिए, संस्थान आदिवासी समुदाय की स्थिति में सुधार करने के लिए लगातार काम कर रहा है।
विभिन्न राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओडिशा, गुजरात, केरल आदि से कुल 76 हितधारक (57 महिलाएं और 19 पुरुष) ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से बैठक में उपस्थित थे। हितधारकों और संस्थान के वैज्ञानिकों के बीच एक संवाद सत्र आयोजित किया गया जहां उन्होंने अपने अनुभव और भविष्य की गतिविधियों के लिए योजना बनाने के बारे में चर्चा की।संस्थान के निदेशक डॉ. बि.के. दास ने अपने अध्यक्षीय भाषण में सभी हितधारकों को अपनी मत्स्य पालन गतिविधियों में सुधार लाने के लिए सिफ़री के समर्थन को प्राप्त करअधिक सक्रिय रूप से आगे आने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि उनकी आजीविका सुरक्षा को स्थायी तरीके से सुनिश्चित किया जा सके। डॉ. दास ने इस बात की भी पुष्टि की कि संस्थान आने वाले दिनों में एसटीसी (अनुसूचित जनजाति घटक) के तहत देश के दूरदराज के इलाकों में रहने वाले आदिवासी मछुआरों को अपना समर्थन देना जारी रखेगा, लेकिन साथ ही, उन्होंने लाभार्थियों से भी स्वयं सम्पूर्ण बनने का प्रयास जारी रखने का अनुरोध किया, ताकि हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के "आत्मनिर्भर भारत" के सपने को साकार किया जा सके। इस बैठक में डॉ. एस. सामंत, प्रभागाध्यक्ष,आरईएफ डिवीजन, डॉ. एम.ए. हसन, प्रभागाध्यक्ष, एफईएम डिवीजन, डॉ. यूके सरकार, प्रभागाध्यक्ष, आरडब्ल्यूएफ डिवीजन, डॉ. ए. के दास, प्रधान वैज्ञानिक और प्रभारी, प्रशिक्षण और विस्तार इकाई , डॉ अपर्णा रॉय, सीनियर वैज्ञानिक, डॉ. लियांथुमलुइया और डॉ. एन. चानू, वैज्ञानिक उपस्थित थे । जबकि ऑफ़लाइन मोड में उपस्थित थे, डॉ. प्रीता पन्निकर, प्रभारी, बेंगलुरु क्षेत्रीय केंद्र, डॉ. डी. एन. झा, वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रभारी, प्रयागराज क्षेत्रीय केंद्र, डॉ. दीपा सुधेसन, वैज्ञानिक और प्रभारी अधिकारी, कोच्चि क्षेत्रीय केंद्र, डॉ. लोहित कुमार, वैज्ञानिक, वडोदरा क्षेत्रीय केंद्र। इसके अलावा, पश्चिम बंगाल के श्रीनिकेतन, बीरभूम जिले की महिला लाभार्थियों और पश्चिम बंगाल के सुंदरबन के सागर द्वीप, गोसाबा और पलोट घाट के लाभार्थियों ने अपनी मात्स्यिकी गतिविधियों से अधिक उत्पादन और लाभ प्राप्त करने में अपनी सफलता के बारे में बताया और उन्होंने इसका श्रेय संस्थान को दिया। संस्थान के निरंतर और प्रभावी समर्थन के कारण ही उनके लिए यह संभव हो सका। अंत में वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं बैठक की समन्वयक डॉ. अपर्णा राय के धन्यवाद ज्ञापन के साथ बैठक समाप्त हुई।