टैग की गईं हिल्सा मछली गंगा नदी में 225 किलोमीटर की दूरी में पायी गयी
भाकृअनुप -केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर, जलशक्ति मंत्रालय द्वारा स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमसीजी) के सहयोग से, वर्ष 2020 से गंगा नदी में हिल्सा, तेनुआलोसा इलीशा मछली पालन और सुधार कर रहा है। 1975 में गंगा नदी में फरक्का बैराज के निर्माण के बाद, हिलसा मत्स्य पालन भी काफी प्रभावित हुआ है। ऐसा देखा गया कि गंगा नदी के मध्य हिस्सों में उत्पादन शून्य तक पहुंच गया है (फरक्का से प्रयागराज, अध्ययन खंड)। गंगा नदी में हिल्सा के वर्तमान प्रवासी पैटर्न को समझने के लिए 250 ग्राम से अधिक औसत वजन की जीवित मछलियों को फ्लोयट-बार एंकर टैग के द्वारा टैग किया जा रहा है। नवंबर 2020 से अब तक गंगा नदी में कुल 391 टैग की गई जीवित हिल्सा छोड़ी जा चुकी है। 6 अक्टूबर 2021 (17:30 बजे) को एक दिलचस्प परिणाम मिला, कि एक मछुआरे ने निमैतीर्थ घाट, बैद्यबाटी, हुगली जिला, पश्चिम बंगाल (220 47' 29.5 "एन; 880 20' 18.8" ई) में एक हिल्सा को पकड़ा, जिसे, 1 अक्टूबर 2021 (20:00बजे ) को फरक्का (24°48'14.93"N; 87°55'55.69"E) में सीआईएफआरआई 1516 नंबर टैग द्वारा टैग किया गया था (सम्मिलित चित्र)। इस महत्वपूर्ण अवलोकन से यह पता चलता है कि मछली 4दिन 21घंटे (117:3घंटे) की अवधि के भीतर, टैग किए गए स्थल से 225 किलो मीटर नीचे की ओर जा चुकी है। यह ध्यान देने योग्य बात है कि, गंगा नदी के 225 किमी के निचले हिस्से में, 95 किमी का खंड मीठे पानी का ज्वारीय खंड है जो नदी के खिंचाव के ज्वारीय धारा के अनुभव को दर्शाता है। ज्वारीय धारा हुए हिल्सा प्रवास की गति 0.56 मीटर/सेकेंड के रूप में अनुमानित की गई थी। इसके अलावा, प्रवास की इस अवधि (4दिन 21घंटे ) के दौरान वजन में 34 ग्राम की कमी दर्ज की गई है। यह दिलचस्प परिणाम भारत में प्रवासी मछली प्रजातियों में पाई गई पहला रिकॉर्ड है। हालाँकि, इस प्रवासी मछली के दिलचस्प परिणाम को एक गहन वैज्ञानिक अध्ययन की आवश्यकता है। इसके साथ ही, भाकृअनुप -केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर के एनएमसीजी-हिलसा परियोजना से जुड़े सभी वैज्ञानिक, और दल के अन्य सदस्यों का आभार स्वीकार करते हैं।