डॉ. त्रिलोचन महापात्र, सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग और महानिदेशक, भाकृअनुप का सिफ़री में अनुसूचित जाति की महिला मछुआरों के साथ संवाद
डॉ. त्रिलोचन महापात्र, सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग तथा महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने संस्थान दौरे की अवधि में दिनांक 4 अक्टूबर 2021 से चल रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम के 39 अनुसूचित जाति के महिला मछुआरों से बातचीत की जो पश्चिम बंगाल के मालदा जिले से आयी थीं। उन्होंने सलाह दिया कि मछली उत्पादन बढ़ाने और किसानों की आय दोगुनी करने के लिए अंतर्स्थलीय मछली पालकों के कौशल विकास के लिए कृषि विज्ञान केन्द्रों के सहयोग से इसी तरह के और अधिक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं। बैठक में डा. जयकृष्ण जेना, उप-महानिदेशक (मत्स्य विज्ञान), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली उपस्थित थे। इस पांच दिवसीय प्रशिक्षण, "अंतर्स्थलीय मत्स्य प्रबंधन" का उदघाटन संस्थान के निदेशक, डॉ. बि के दास ने दिनांक 4 अक्टूबर 2021 को किया। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य अंतर्स्थलीय जल निकायों से मत्स्य उत्पादन को बढ़ाने के लिए सतत मत्स्य पालन प्रबंधन पद्धतियों पर क्षमता विकसित करना था। डॉ. दास ने प्रशिक्षुओं को अंतर्स्थलीय मत्स्य प्रबंधन पर अपने ज्ञान और कौशल को विकसित करने और आजीविका सुरक्षा के लिए रोजगार पैदा करने के कौशल को लागू करने के लिए प्रोत्साहित किया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षुओं को मछली पालन के विभिन्न पहलुओं जैसे तालाब की तैयारी, जल गुणवत्ता प्रबंधन, प्रेरित प्रजनन तकनीक, मिश्रित मछली पालन, नर्सरी पालन और तालाब प्रबंधन, छोटी देशी मछलियों का बहुपालन, मछली रोग प्रबंधन, फ़ीड तैयार करना और सजावटी मछली पालन तकनीक पर प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षुओं का जल गुणवत्ता विश्लेषण पर व्यावहारिक अभ्यास भी किया गया। अंतर्स्थलीय जल में पालन प्रणाली के बारे में समग्र अभिविन्यास के लिए पूर्वी कोलकाता आर्द्रभूमि में महिला प्रशिक्षुओं के लिए एक फील्ड एक्सपोजर दौरा भी आयोजित किया गया था। लगभग 91 प्रतिशत प्रशिक्षु इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से संतुष्ट थे और उन्हें अंतर्स्थलीय मत्स्य प्रबंधन के वैज्ञानिक पैकेज को अपनाने के लिए प्रेरित किया गया था। कार्यक्रम का संचालन डॉ. पी.के. परीदा, डॉ. अपर्णा रॉय, डॉ. लियांथुआमलुआ और श्रीमति प्रज्ञा आर. स्वैन ने किया।