डा. जे के जेना, उपमहानिदेशक (मत्स्य विज्ञान), भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद द्वारा बाढ़ प्रभावित मोयना मछली फ़ार्म का संदर्शन

डा. जे के जेना, उप महानिदेशक (मत्स्य विज्ञान), भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद, नई दिल्ली ने आज प्रभावित मोयना मछली फ़ार्म, मोयना, पूरबा मेदिनीपुर का दौरा किया, जहां आसपास के सात ब्लॉक के अंतर्गत 6000 हेक्टेयर भूमि सहित 8000 हेक्टेयर अवनत भूमि (depressed land) में गहन मछली पालन किया जा रहा है। इस पालन पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से 5 लाख से अधिक लोगों को आजीविका निर्भर करती है।
इस अवसर पर डॉ जेना के साथ भाकृअनुप-सिफरी, बैरकपुर के निदेशक डॉ बि के दास, वैज्ञानिकगण तथा भाकृअनुप-सीफा के वैज्ञानिकगण भी उपस्थित थे। डॉ. जेना को मोयना के मछुआरों ने मछली पालन में आने वाली बाधाओं जैसे गर्मी के दौरान पानी की कमी, मानसून में जलभराव, दूरदराज के हिस्सों में सड़क संपर्क का टूट जाना, पट्टा राशि का अधिक होना (रु. 1-1.5 लाख प्रति एकड़), मछलियों को रखने के लिए बर्फ कारखानो और पैकेजिंग या मत्स्ययन के उपरान्त प्रयोगशाला, रोग निदान सुविधाओं तथा वित्तीय संस्थानों से वित्तीय सहायता की कमी आदि। इस वैज्ञानिक-कृषक संवाद के दौरान मछुआरों को संबोधित करते हुए, डॉ जेना ने परिषद् के अधीनस्थ संस्थानों जैसे सीफरी, सीआईएफए और सीआईएफटी के माध्यम से मछुआरों के ज्ञान और कौशल विकास को मजबूत करने पर जोर दिया ।
उन्होंने आगे कहा कि वर्तमान उत्पादन में 7.5 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर की वृद्धि देखी गयी है और आने वाले दिनों में 15 टन फ़ीड की आवश्यकता होगी पर जल की गुणवत्ता और सतत उत्पादन चिंता का विषय है। उन्होंने किसानों को इस विशाल क्षेत्र के उत्पादन और उत्पादकता को बनाए रखने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए कहा। उन्होंने आगे यह बताया कि हितधारकों के व्यापक परिप्रेक्ष्य में केंद्र-राज्य समन्वय को देखते हुए मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए केंद्रीय योजनाओं के माध्यम से हितधारकों की आय में वृद्धि करना चाहिए। मत्स्ययन के पश्चात आईसीएआर-सीआईएफटी, कोचीन द्वारा फीड मिल और बर्फ कारखानों की स्थापना के लिए उद्यमियों को प्रेरित करना, रोग निदान और जल गुणवत्ता विश्लेषण के लिए सीआईएफए और सिफरी के माध्यम से आवश्यकता आधारित प्रयोगशाला सहायता प्रदान करना - जैसे कदम उठाया जाना चाहिए। डॉ बि के दास ने हितधारकों से सिफरी में मछली पालन के आधुनिक ज्ञान के साथ प्रशिक्षित होने के लिए आगे आने के लिए आग्रह किया। इसी प्रकार, सिफरी को मोयना मछली फार्मों में मत्स्य रोगों पर भी कार्य करना चाहिए।
डॉ जेना और डॉ दास ने रामकृष्णन सोसाइटी ऑफ मोयना द्वारा संचालित पल्ली बांग्ला एफएम रेडियो के माध्यम से मोयना के लोगों को सम्भाषण किया। श्री शशांक मैती, अध्यक्ष और श्री विद्युत मैती ने इस बाढ़ के समय आजीविका और पोषण सुरक्षा के लिए मोयना मछली फार्म पर आने और उन्हें सम्बोधित करने के लिए डॉ जेना और डॉ दास को बहुत धन्यवाद दिया।
  





Updated on 10/10/2021


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2017 Last updated on 10/10/2021