एससीएसपी और एसटीसी के तहत सागर द्वीप, सुंदरबन में यास (वाईएएएस) से प्रभावित मछुआरों के लिए जागरूकता कार्यक्रम
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् -केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, एससीएसपी और एसटीसी कार्यक्रम के तहत भारत के विभिन्न हिस्सों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के आजीविका विकास के लिए सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। इसी क्रम में संस्थान ने 20 अक्टूबर 2021 को सागर द्वीप, सुंदरबन, दक्षिण 24 परगना, पश्चिम बंगाल के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय की आजीविका के विकास के लिए जागरूकता और मात्स्यिकी क्षेत्र में कौशल विकास के माध्यम से सागरद्वीप के यास प्रभावित लोगों के लिए मत्स्य पालन में वृद्धि करने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया । संस्थान के निदेशक डॉ. बि.के.दास ने कार्यक्रम में 105 अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के मछली किसानों को संबोधित किया। डॉ. दास ने ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका विकास के लिए मत्स्य पालन के दायरे और उसके महत्व के बारे में बताया। उन्होंने मछुआरों को सलाह दी कि वे मत्स्य पालन गतिविधियों से अपनी आय को दोगुना करने के लिए एससीएसपी और एसटीसी कार्यक्रम के तहत मत्स्य पालन विकास योजना को गंभीरता से लें। इस अवसर पर निदेशक ने 105 मछुआरों को मछली बीज वितरित किया। यह निर्णय लिया गया कि इस वर्ष संस्थान 250 अनुसूचित जाति और 100 अनुसूचित जनजाति मछुआरों को मछली बीज, चूना और अन्य मत्स्य पालन उपकरण प्रदान करके उनकी आजीविका में सुधार के लिए समर्थन करेगा। पश्चिम बंगाल सरकार के सुंदरबन क्षेत्रीय मामलों के माननीय मंत्री श्री. बी.सी.हाजरा ने संस्थान द्वारा सागरद्वीप में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के विकास की पहल की अत्यधिक सराहना की। बैठक में उपस्थित एनएमसीजी के सलाहकार डॉ. संदीप बेहरा ने अपने आधिकारिक संबोधन में गंगा नदी में जैव विविधता के संरक्षण और आवास संरक्षण के महत्व के बारे में बताया. संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. पी.के. परिदा, डॉ. ए.के. साहू और डॉ. लियांथुआमलुआ ने कार्यक्रम का समन्वयन किया।