आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष में सिफ़री द्वारा राजा आर्द्रभूमि, पश्चिम बंगाल में जलवायु लचीला अन्तर्स्थलीय मत्स्य पालन पर अभियान
आर्द्रभूमि स्वदेशी मछली प्रजातियों का प्रजनन स्थल, बाढ़ के जल का भंडारण और घरेलू पशुओं के चरागाह के रूप में कार्य करती है। इसके अलावा, यह परितंत्र में उपस्थित कार्बन तत्वों को सोखने के साथ, पारिस्थितिकी पर्यटन और आजीविका सुरक्षा भी प्रदान करती है। जलवायु में होने वाली निरंतर परिवर्तन और बढ़ते मानवजनित गतिविधियों के कारण आर्द्रभूमि की जलीय पारिस्थितिकी और मत्स्य पालन पर हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है। इसी क्रम में, पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले में स्थित राजा आर्द्रभूमि का सर्वेक्षण किया गया। इसमें यह देखा गया कि जलवायु विसंगतियों और शहरीकरण के कारण राजा आर्द्रभूमि की पारिस्थितिकी बहुत प्रभावित हुई है। इस कारण से इसकी मत्स्य उपज अनियमित और परिणामस्वरूप मछुआरों को आजीविका असुरक्षा का सामना करना पड़ता है।
इस समस्या के निदान की दिशा में भाकृअनुप-केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान ने आजादी का अमृत महोत्सव वर्ष में राष्ट्रीय जलवायु अनुकूल कृषि पहल परियोजना(निक्रा) के तहत जलवायु लचीला अन्तर्स्थलीय मत्स्य पालन पर जागरूकता बढ़ाने के लिए 06 नवंबर 2021 को पश्चिम बंगाल के राजा आर्द्रभूमि (जिला उत्तर 24 परगना) में एक राष्ट्रीय अभियान का आयोजन किया। यह कार्यक्रम डॉ बि के दास, निदेशक, सिफ़री, बैरकपुर के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया तथा डॉ यू के सरकार, प्रधान अन्वेषक, निक्रा-राष्ट्रीय जलवायु अनुकूल कृषि पहल परियोजना और प्रभागाध्यक्ष, जलाशय एवं आर्द्रक्षेत्र मात्स्यिकी द्वारा समन्वयित किया गया था। इस कार्यक्रम में निक्रा परियोजना के सह-समन्वयक, डॉ. लियांथुआमलुआइया, वैज्ञानिक तथा शोधार्थियों की उपस्थिति में स्थानीय मछुआरों के साथ जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने तथा अन्य कार्य योजनाओं पर एक पारस्परिक संवाद आयोजित किया गया जिसमें मछुआरों को पेन और पिंजरे में मछली पालन जैसी जलवायु लचीला स्मार्ट मत्स्य पालन के बारे में जागरूक किया गया। इस अभियान में लगभग 20 मछुआरों ने भाग लिया।