भाकृअनुप-केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान द्वारा प्रयागराज में गंगा नदी में तीस हजार मत्स्य बीजों को छोड़ा गया
भाकृअनुप-केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफरी), प्रयागराज ने दिनांक 15 नवम्बर 2021 को पवित्र गंगा और यमुना के संगम तट पर गंगा नदी में विलुप्त हो रही मत्स्य प्रजातियों के संरक्षण एवम् संवर्धन को ध्यान में रखते हुए गंगा नदी में रैंचिंग कार्यक्रम के तहत 30000 (तीस हजार) भारतीय प्रमुख कार्प मछलियों -कतला, रोहू, मृगल मछलियों के अंगुलिकाओं को छोड़ा गया। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एन एम सी जी) के अन्तर्गत आयोजित इस कार्यक्रम में संस्थान के केन्द्र प्रमुख, डा० डी एन झा ने उपस्थित लोगों का स्वागत किया तथा गंगा नदी के बारे में संक्षिप्त में बताया। संस्थान के निदेशक, डा० बसंत कुमार दास ने सभा को नमामि गंगे परियोजना के बारे में जानकारी दी जिसके अन्तर्गत पुरे गंगा नदी में कम हो रही महत्वपूर्ण मत्स्य प्रजातियों के बीज का रैंचिंग किया जाना चाहिए, साथ ही लोगो को गंगा के जैव विविधता अैर स्वच्छता के बारे में जागरूक करना है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, डा० जयकृष्ण जेना, उपमहानिदेशक (मत्स्य विज्ञान), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने समारोह को सम्बोधित करते हुए गंगा नदी में मछली और रैंचिंग के महत्व तथा मछुआरों के आजीविका बढ़ाने के उपायों को बताया। इस कार्यक्रम में मछुआरों को मछली पकड़ने के लिए जाल वितरित किया। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि, श्रीमती कविता त्रिपाठी (समाज सेविका) ने नदी के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होने गंगा को स्वच्छ रखने एवम जैव विविधता को बचाने के लिए उपस्थित लोगो से आह्वान किया तथा संस्थान द्वारा प्रकाशित पुस्तिकाओं का विमोचन किया। इस अवसर पर नमामि गंगे के संयोजक गंगा विचार मंच (राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन) एवं नगर गंगा समिति, प्रयागराज के सदस्य, श्री राजेश शर्मा ने गंगा को स्वच्छ रखने के लिए सभी को शपथ दिलाया तथा अन्य वक्ताओं ने सभा को सम्बोधित किया और गंगा के प्रति जागरूक होने के साथ ही गंगा को स्वच्छ रखने का संकल्प व्यक्त किया। कार्यक्रम में नमामि गंगे (गंगा विचार मंच), भारतीय वन्यजीव संस्थान, गंगा प्रहरी, नगर गंगा समिति, माँ गंगा सेवा समिति, तीर्थयात्री, आस-पास गांवों के मत्स्य पालक, मत्स्य व्यवसायी तथा गंगा तट पर रहने वाले स्थानीय लागों ने भाग लिया। कार्यक्रम के अन्त में संस्थान के वैज्ञानिक, डा० अबसार आलम ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आश्वस्त किया कि समाज के भागीदारी से हम इस परियोजना के उद्देश्यों को पाने में सफलता प्राप्त कर सकेंगे। कार्यक्रम में संस्थान के वैज्ञानिक, अधिकारी तथा शोधार्थियों ने भाग लिया।