भाकृअनुप-केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर ने दिनांक 5 दिसंबर 2021 को बैरकपुर मुख्यालय में 'विश्व मृदा दिवस-2021' का आयोजन ऑनलाइन और ऑफलाइन माध्यम से किया जिसमें कृषि उत्पादन और पर्यावरणीय स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए मिट्टी के स्वास्थ्य के महत्व पर प्रकाश डाला गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो० पबित्र मणि, प्रख्यात मृदा वैज्ञानिक और विभागाध्यक्ष, कृषि रसायन विज्ञान और मृदा विज्ञान विभाग, बिधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय, (बीसीकेवी), मोहनपुर, नादिया, पश्चिम बंगाल उपस्थित थे।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर 2013 में दिनांक 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस के रूप में नामित किया जो थाईलैंड के सम्राट एच.एम. किंग भूमिबोल अदुल्यादेज का जन्मदिन है और जिन्होंने आधिकारिक तौर पर इस आयोजन की मंजूरी दी थी। ग्लोबल सॉयल पार्टनरशिप ने विश्व मृदा दिवस -2021 को "हॉल्ट सेल सेलिनाइजेशन, बूस्टिंग सॉइल प्रोडक्टिविटी" विषय को समर्पित किया है। इस कार्यक्रम में देश के वैज्ञानिकों, तकनीकी कर्मचारियों, राज्यों के मत्स्य विभागों के अधिकारियों, छात्रों, शोधार्थियों, किसानों, उद्यमियों सहित 100 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस अवसर पर प्रो. मणि ने फसल और जल उत्पादकता बढ़ाने के लिए तटीय लवणीय क्षेत्र में मृदा स्वास्थ्य के पुनरुद्धार पर सशक्त प्रस्तुति दी। इसके पश्चात किसानों, छात्रों और वैज्ञानिकों के साथ पारस्परिक संवाद सत्र में महटरवपूर्ण मुद्दों, जैसे कृषि उत्पादन प्रणाली के संबंध में तटीय मिट्टी की समस्याएं आदि पर विचार मंथन किया। संस्थान के निदेशक, डॉ बि के दास ने अपने उद्घाटन भाषण में वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में मृदा स्वास्थ्य के रखरखाव पर जोर दिया तथा यह कहा कि कृषि रसायनज्ञों और मृदा वैज्ञानिकों को राष्ट्र की खाद्य सुरक्षा के लिए मिट्टी के पर्यावरण स्वास्थ्य को बनाए रखने पर अधिक ध्यान देना चाहिए। आने वाले दिनों में अन्तर्स्थलीय खुला जल क्षेत्रों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान करना एक सराहनीय प्रयास होगा जिससे मात्स्यिकी संवर्धन द्वारा अधिक उत्पादकता प्राप्त किया जा सके।