जलशक्ति और जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री श्री बिशेश्वर टुडू ने सिफ़री पेन कल्चर सह जलाशय मात्स्यिकी संवर्धन कार्यक्रम का उद्घाटन किया
जलशक्ति और जनजातीय मामलों के राज्य मंत्री श्री बिशेश्वर टुडू ने सिफ़री पेन कल्चर सह जलाशय मात्स्यिकी संवर्धन कार्यक्रम का उद्घाटन किया
श्री बिशेश्वर टुडू, माननीय राज्य मंत्री, जलशक्ति और जनजातीय मामला, भारत सरकार ने 11 नवंबर 2021 को ओडिशा के मयूरभंज जिले के बालीडीहा में सिफ़री पेन कल्चर प्रदर्शन सह जलाशय मत्स्य पालन वृद्धि कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
अपने स्वागत भाषण में संस्थान के निदेशक डॉ. बि.के. दास ने माननीय मंत्री का स्वागत किया और उन्हें ओडिशा में संस्थान द्वारा की गई गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बालीडीहा बांध के मछुआरों से जलाशय मात्स्यिकी वृद्धि कार्यक्रम की सफलता के लिए एक साथ काम करने का अनुरोध किया।
माननीय मंत्री जी ने अपने भाषण में जलाशय मात्स्यिकी विकास कार्यक्रम से स्थानीय समुदाय को होने वाले लाभों पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ओडिशा सरकार के मत्स्य विभाग और मछुआरों को ओडिशा में जलाशयों के समग्र विकास के लिए संस्थान के साथ हाथ मिलाना चाहिए और आदिवासी समुदाय के सामाजिक विकास की दिशा में संस्थान के प्रयासों की सराहना की।
श्री सुब्रत दास, जिला मत्स्य अधिकारी, मयूरभंज जिला ने अपने संबोधन में मत्स्य विकास के लिए राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी।
संस्थान एससीएसपी/एसटीसी कार्यक्रम के माध्यम से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के उन्नयन के लिए लगातार काम कर रहा है। इन कार्यक्रमों के तहत संस्थान ने मयूरभंज, ओडिशा के अन्तर्स्थलीय जल निकायों से मछली उत्पादन को बढ़ाने के उद्देश्य से एसटीसी कार्यक्रम के तहत बालीडीहा बांध में काम शुरू किया है। एक सिफ़री पेन एचडीपीई (0.1 हेक्टेयर) जलाशय में स्थापित किया गया था और 30,000 भारतीय प्रमुख कार्प के अंगुलिमीन स्टॉक किया गया था। पेन में मछलियों को नियमित रूप से खिलाने के लिए लाभार्थियों को सिफ़री केजग्रो फीड भी प्रदान किया गया।
कार्यक्रम में कई स्थानीय स्वयं सेवा समूह (एनजीओ), स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल हुए। कार्यक्रम में लगभग 250 स्थानीय लोगों के साथ-साथ मछुआरे भी शामिल हुए और इस कार्यक्रम का आयोजन कोविड दिशानिर्देशों का पालन करते हुए किया गया। कार्यक्रम का संचालन वैज्ञानिक डॉ. एच. एस. स्वैन एवं श्री एम.एच. रामटेके, एवं तकनीकी सहायक श्री. के. मोडल, ने बालीडीहा सुरक्षा मंच के सहयोग से किया।