भाकृअनुप-केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर ने अनुसूचित जाति उपयोजना कार्यक्रम के तहत डुमनीडाहा बील, मुर्शिदाबाद में "पेन कल्चर प्रदर्शन" पर एक कार्यक्रम में अंगुलिमीन का स्टॉक किया कार्यक्रम

भाकृअनुप- केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर ने अनुसूचित जाति उपयोजना के तहत धन्यगंगा कृषि विज्ञान केंद्र, आरकेएमए, सरगाछी के सहयोग से पेन कल्चर के माध्यम से मछली उत्पादन में वृद्धि के लिए वर्ष 2020-21 के दौरान पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के डुमनीडाहा बील में काम शुरू किया। संस्थान के निदेशक डॉ. बि. के. दास के नेतृत्व में डुमनीडाहा के मछुआरों को आर्द्रभूमि के लिए पेन में मछली के बीज के उत्पादन और पालन के लिए प्रेरित किया गया। जल निकाय का प्रबंधन एंडिरॉन मछुआरे सहकारी समिति द्वारा किया गया। समिति में 94 मछुआरे शामिल हैं और वे सभी अनुसूचित जाति समुदाय के हैं। संस्थान से तकनीकी सहायता के लिए बील के एंडिरॉन मछुआरे पीएफसीएस और स्थानीय सहायता के लिए धन्यगंगा कृषि विज्ञान केंद्र के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किया गया हैं। 1 दिसंबर 2021 को, संस्थान के अनुसूचित जाति उपयोजना कार्यक्रम के तकनीकी मार्गदर्शन और वित्तीय सहायता के तहत डुमनीडाहा बील के पेन में 200 किलोग्राम अंगुलिमीन का स्टॉक किया गया। मछुआरा समिति को एक एफआरपी नाव, दो एफआरपी कोरकल भी दिया गया। 2019-20 के दौरान भी इसी तरह की गतिविधि का प्रदर्शन किया गया जिसमें मछुआरों को अत्यधिक लाभ हुआ। निदेशक डॉ. बि. के. दास के मार्गदर्शन में कार्यक्रम का सफलतापूर्वक संचालन किया गया। अनुसूचित जाति उपयोजना कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. पी. के. परिदा ने धनगंगा केवीके के श्री उदय नारायण दास, एसएमएस (मत्स्य विज्ञान) के सहयोग से कार्यक्रम का समन्वय किया।

  

  



13/12/21 को अद्यतन किया गया


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