भाकृअनुप – केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर में मत्स्य पालन क्षेत्र में युवाओं का ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम
संस्थान ने मत्स्य पालन क्षेत्र में युवायों का ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से भागलपुर के मछली किसानों के लिए "अन्तर्स्थलीय मत्स्य विकास" पर 5-दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम (27-31 दिसंबर, 2021) का आयोजन किया । बिहार के सबौर केवीके, भागलपुर द्वारा प्रायोजित इस कार्यक्रम में कुल 34 मत्स्य किसानों ने भाग लिया जिनमें ज्यादातर युवाएं शामिल थे। कार्यक्रम को भागलपुर के मछुआरों और मछली किसानों की आवश्यकता के आधार पर तैयार किया गया क्योंकि भागलपुर में गंगा के बेसिन के मौन और चौर सहित बारहमासी और मौसमी तालाबों, जलाशयों, नहरों की विशाल श्रृंखला है, जिससे जिले को अन्तर्स्थलीय मत्स्य पालन के विकास के माध्यम से आजीविका में सुधार की पर्याप्त गुंजाइश मिलती है। संस्थान का उद्देश्य अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी प्रबंधन के प्रति किसानों के ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण में अंतर को पाटना है। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए संस्थान के निदेशक डॉ. बि.के.दास, ने युवाओं से मत्स्य पालन और जलीय कृषि के इस क्षेत्र में सक्रिय होने का आग्रह किया, जो 2025 तक किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में भारत के कृषि क्षेत्र के तहत सबसे शक्तिशाली क्षेत्र के रूप में साबित हुआ है। स्थायी आजीविका सुनिश्चित करने के लिए अन्तर्स्थलीय मत्स्य प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर ज्ञान और कौशल विकास के माध्यम से जिले के विशाल और विविध अन्तर्स्थलीय मत्स्य संसाधनों का ठीक से पता लगाया जाना चाहिए - डॉ दास ने जोर दिया। उन्होंने मत्स्य पालन में उद्यमशीलता के अवसरों के बारे में भी बताया, जिनका बेहतर विपणन और व्यावसायिक कौशल के साथ उपयोग किया जा सकता है। इस कार्यक्रम में तीन दिनों के इन-हाउस व्याख्यान के साथ-साथ प्रशिक्षण सत्र और पूर्वी कोलकाता आर्द्रभूमि (ईकेडब्ल्यू), बाढ़ के मैदानों में पेन कल्चर साइट, आईसीएआर-सीफा फील्ड स्टेशन, बालागढ़, हुगली में नर्सरी, कल्याणी में प्रगतिशील मछुआरों सहित दो दिनों के फील्ड एक्सपोजर दौरे शामिल थे। प्रशिक्षण कार्यक्रम में अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर सत्र शामिल थे, जैसे जल और मृदा रसायन, मछली का प्रेरित प्रजनन, मछली स्वास्थ्य प्रबंधन, आर्द्रभूमि प्रबंधन, सजावटी मछली पालन, केज में मछली पालन, मछली फ़ीड तैयार करना, केज स्टॉक उत्पादन के लिए पुनर्चक्रण प्रणाली, मछली विपणन आदि। कार्यक्रम की शुरुआत ज्ञान परीक्षण की मदद से प्रशिक्षुओं की आवश्यकता के आकलन के साथ की गई थी और संस्थान के भविष्य के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सुधार के लिए उनसे फीडबैक के संग्रह के साथ समाप्त किया गया था। भाकृअनुप-कारी के पूर्व निदेशक और संस्थान के कोलकाता केंद्र के प्रभारी डॉ. एस. दाम रॉय ने प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र वितरित किया। कार्यक्रम का समन्वय डॉ. ए.के दास, प्रभारी, विस्तार एवं प्रशिक्षण कक्ष द्वारा किया गया और श्री सतीश कौशलेश, वैज्ञानिक, आरडब्ल्यूएफ डिवीजन द्वारा यह कार्यक्रम समन्वयित किया गया।