पश्चिम बंगाल के कालिम्पोंग और दार्जिलिंग जिले में पहाड़ी मत्स्य विकास के लिए मत्स्य और खाद्य वितरण और जन जागरूकता कार्यक्रम
भाकृअनुप- केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर ने अनुसूचित जाति उप योजना (एससीएसपी)/अनुसूचित जनजाति घटक (एसटीसी) कार्यक्रम के माध्यम से अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदाय की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के उन्नयन के लिए पहाड़ी मत्स्य विकास के रूप में एक नया कार्यक्रम शुरू किया। संस्थान के निदेशक डॉ. बि. के. दास के नेतृत्व में लिए गए इस पहल के तहत, संस्थान ने 29 और 30 दिसंबर, 2021 के दौरान कालिम्पोंग और दार्जिलिंग जिले में ग्रामीण अनुसूचित जाति के मछुआरों के आजीविका में सुधार के लिए दो जन जागरूकता सह मत्स्य और खाद्य वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।कलिम्पोंग जिले में पेमलिंग और गिडांग गांवों (कालिम्पोंग ब्लॉक) में 29 दिसंबर, 2021 को 50 मछुआरों को 70 किलो मछली फ़ीड और अंगुलिमीन (120 नंबर) वितरित किया गया । डॉ. दास ने किसानों को ठंडे पानी की मछली प्रजातियों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कियाजो कम तापमान में बेहतर विकसित हो सकती हैं। 30 दिसंबर, 2021 को दार्जिलिंग जिले के मिरिक में एक अन्य जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें मंजू दारा गांव, मंजू गौरी गांव, लेप्चा विला, अमलबोटे, सौरेनी बस्टी, बुंगकुलुंग (मिरिक ब्लॉक), गोपालधारा गांव (सुखिया ब्लॉक) के 50 मछुआरों ने भाग लिया। सभी मछुआरों के पास अपना छोटा तालाब है लेकिन वे वैज्ञानिक रूप से मत्स्य पालन नहीं कर रहे हैं। संस्थान ने 100 मछली किसानों के बीच 12000 अमूर कार्प और ग्रास कार्प अंगुलिमीन और 7000 किलोग्राम चारा वितरित किया। डॉ. बि. के. दास ने मछली पालन के लिए मछली किसानों को प्रोत्साहित किया और पहाड़ी क्षेत्रों में सतत आजीविका विकास के लिए मत्स्य पालन के दायरे और महत्व के बारे में भी बताया। किसानों ने वैज्ञानिक मछली पालन और उनके सामने आने वाली अन्य कठिनाइयों के बारे में बताया और सुझाव लिए । संस्थान के निदेशक महोदय ने मत्स्य किसानों को संस्थान की ओर से हर प्रकार की तकनीकी सहायता का आश्वासन दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. पी.के.परिदा, डॉ.ए.के.दास और सुश्री श्रेया भट्टाचार्य ने किया। सुंदरबन ड्रीम्स द्वारा स्थानीय समर्थन और समन्वय प्रदान किया गया।