15-17 फरवरी, 2022 के दौरान गंडाचेरा, धलाई जिला, त्रिपुरा में आयोजित डंबूर जलाशय के केज के मछुआरों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित
भाकृअनुप-केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र, गुवाहाटी और मत्स्य पालन विभाग, त्रिपुरा सरकार के सहयोग से फरवरी 15-17, 2022 के दौरान गंडाचेरा अधीक्षक मात्स्यिकी कार्यालय में 'जलाशय उत्पादकता बढ़ाने के लिए पिंजरा संवर्धन प्रौद्योगिकी' पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन श्री धनंजय त्रिपुरा, माननीय विधायक, त्रिपुरा द्वारा 15 फरवरी, 2022 को किया गया। संस्थान के निदेशक डॉ. बि.के. दास और डॉ. बी.के. भट्टाचार्य, प्रमुख, क्षेत्रीय केंद्र, गुवाहाटी ने प्रतिभागियों को ऑनलाइन मोड पर संबोधित किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में डंबूर जलाशय पर निर्भरशील कुल 50 मछुआरों ने भाग लिया। संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र के वैज्ञानिकों डॉ. दीपेश देबनाथ, डॉ. एस.सी.एस. दास और श्री ए.के. यादव ने जलाशय में केज में जलीय कृषि के तकनीकी पहलुओं पर तीन दिवसीय कार्यक्रम पर चर्चा की । त्रिपुरा मत्स्य विभाग के अधिकारी श्री मदन त्रिपुरा, एस एफ; श्री टिमोथी संगमा, एफओ, श्री रत्नदीप साहा, एफओ ने डंबूर जलाशय में केज कल्चर में मछली पहल के बारे में आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित थे। बातचीत के दौरान इस बात पर जोर दिया गया कि केज की खेती एक गहन जलीय कृषि प्रणाली है जहां मछली की वृद्धि मुख्य रूप से फ़ीड इनपुट की गुणवत्ता और मात्रा, भंडारण घनत्व और पानी की गुणवत्ता की नियमित निगरानी पर निर्भर करती है। एक प्रौद्योगिकी भागीदार के रूप में संस्थान ने मत्स्य पालन विभाग, त्रिपुरा सरकार के सक्रिय सहयोग से 2020-21 से डंबूर जलाशय में केज संवर्धन प्रयोगों की शुरुआत की। त्रिपुरा के जलाशय मछुआरों की आजीविका में सुधार के लिए यह किया गया । श्री डी. के. चकमा, टीसीएस, मत्स्य पालन निदेशक, त्रिपुरा सरकार ने संस्थान की विशेषज्ञता और मार्गदर्शन के साथ डंबूर जलाशय में केज में मछली की खेती को सफलतापूर्वक लागू करने में गहरी रुचि दिखाई है।
पहले और दूसरे दिन के तकनीकी विचार-विमर्श में डुंबूर जलाशय में केज में खेती की संभावनाएं, अन्तर्स्थलीय जलाशयों में केज में खेती के बुनियादी पहलू केज कल्चर में प्रबंधन (डॉ. डी. देबनाथ), पानी और केज नेट (डॉ. एस. सी. एस. दास) की निगरानी का महत्व, केज कल्चर में मछली रोग और उनकी रोकथाम, निदान और उपचार (डॉ. एस. सी. एस. दास) और केज कल्चर के आर्थिक पहलू जलाशयों में (श्री ए. के. यादव) आदि विषयों पर चर्चा की गई। तीसरे दिन, डुंबूर जलाशय के नारिकेल कुंजा भाग में केज में खेती के लिए एक फील्ड विजिट का आयोजन किया गया था। क्षेत्र के दौरे के समय मछुआरों को जलाशय में स्थापित केज और भंडारण के लिए मछली के बीज की पैकेजिंग का प्रदर्शन किया गया। वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा स्टॉकिंग कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई गई। श्री एन.जी. नोआतिया, डीडीएफ और नोडल अधिकारी-एनईएच, सुश्री दीपमाला रॉय, एसएफ और मनोज पॉल, कनिष्ठ अभियंता इस कार्यक्रम में त्रिपुरा मत्स्य विभाग की तरफ से उपस्थित थे।