जमशेदपुर और बोकारो के आदिवासी गांवों में पहली बार सजावटी मछली कुटीर उद्योग स्थापित -भाकृअनुप – केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफ़री )द्वारा

सजावटी मछली उद्योग सिर्फ ग्रामीण लोगों को ही नहीं आदिवासी गांवों की महिलाओं को भी आजीविका का एक बड़ा वैकल्पिक अवसर प्रदान करता है। झारखंड के जमशेदपुर शहर में लगभग 64 खुदरा और थोक सजावटी मछली की दुकानें हैं जो पश्चिम बंगाल के कोलकाता के बाजारों से सजावटी मछलियों की आमदनी करते हैं । झारखंड सरकार के मत्स्य पालन विभाग के सहयोग से सिफ़री सजावटी उद्योग को उत्पादन से लेकर विपणन तक सभी स्तरों में आगे ले जा रहा हैं जिससे जमशेदपुर और बोकारो की ग्रामीण आदिवासी महिलाओं के सशक्तिकरण और आजीविका विकास में सहायता हो सकें। उनके घरों के पीछे इन सजावटी मछली इकाइयों को स्थापित किया जा रहा हैं । वर्तमान में झारखंड सरकार के मत्स्य पालन विभाग ने पूर्वी सिंहभूम, जमशेदपुर के ग्रामीण गांवों जैसे पुंसा, नागा और शिलिंग से 25 आदिवासी महिलाओं और बोकारो के केशरीडी गांव से 15 आदिवासी महिलाओं को प्रशिक्षण के लिए चुना हैं। प्रशिक्षण जिला मात्स्यिकी अधिकारी श्रीमती पेरीसेटी भार्गवी के सहयोग से जिला मुख्यालय पर आयोजित किया गया। सबसे पहले श्रीमती भार्गवी ने प्रतिनिधियों और आदिवासी मछुआरों का स्वागत किया । सिफ़री के निदेशक डॉ. बि. के. दास के नेतृत्व में सजावटी इकाई के लिए इनपुट वितरित किए गए जिसमें 400L फाइबर टैंक, मछली के बीज, मछली का चारा, जलवाहक और सहायक उपकरण शामिल हैं जो कुल रु. 15,000 / व्यक्ति के बराबर हैं। निदेशक महोदय ने आदिवासी महिलाओं को सजावटी मत्स्य पालन से उनकी आजीविका में कैसे सुधार आएगा यह बताया। उन्होनें सजावटी मछली उद्योग और विपणन की संभावनाओं और अवसरों पर भी जोर देते हुए आने वाले दिनों में उद्यमशीलता लाने के लिए , खुद को स्वतंत्र रूप से स्थापित करके और सक्षम बनने के लिए कदम से कदम मिलाकर चलने की जरूरत को समझाया। डॉ. ए.के. दास, प्रधान वैज्ञानिक ,डॉ. राजू बैठा, वैज्ञानिक ने भी उन्हें सजावटी मत्स्य क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए खुद को सशक्त बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। डॉ. श्रेया भट्टाचार्य ने मौली और स्वॉर्डटेल को मॉडल मछली के रूप में लेते हुए सजावटी मछली पालन का प्रदर्शन किया । कार्यक्रम का आयोजन 18 फ़रवरी को जमशेदपुर और 19 फ़रवरी को बोकारो में किया गया। चर्चा और लाइव प्रदर्शन के दौरान आदिवासी महिलाओं ने मछली पालन और विपणन के मुद्दों पर अपनी शंकाएं व्यक्त कीं। स्थानीय व्यापारियों के साथ , उनकी समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की गई और स्थानीय थोक विक्रेताओं की मदद से विपणन के नए रास्ते स्थापित किए गए। झारखंड के इन दो जिलों में पहली बार सिफ़री द्वारा किए गए प्रयासों से माननीय प्रधान मंत्री के परिकल्पित दृष्टिकोण को काफी मदद मिलेगी और पीएमएमएसवाई द्वारा दिए गए लक्ष्य को बढ़ावा मिलेगा जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार आएगा।

  

  


23/02/22 को अद्यतन किया गया


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