मेघालय के मध्यम क्षेत्र में सिफ़री केजग्रो (CIFRI-CAGEGROW) फ्लोटिंग फीड का प्रदर्शन और वितरण
1st मार्च, 2022
भाकृअनुप-केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान ने सिफ़री-केजग्रो का विकास और व्यावसायीकरण किया, जो खुले पानी में केज और पेन में मछली पालन करने वाले मछली किसानों / मछुआरों के किए लाभदायक हैं । मेघालय के मध्यम ऊंचाई क्षेत्र में आदिवासी मछली किसानों के बीच फ़ीड को लोकप्रिय बनाने के लिए, संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र, गुवाहाटी ने 01.03.2022 को उमसिंग, री-भोई जिले, मेघालय में एक "जागरूकता-सह-फ़ीड वितरण कार्यक्रम" का आयोजन किया। यह कार्यक्रम मेघालय मत्स्य पालन विभाग और री-भोई किसान संघ के सहयोग से आयोजित किया गया। कार्यक्रम का आयोजन संस्थान के निदेशक डॉ. बि. के. दास और डॉ. बी. के. भट्टाचार्य, प्रमुख (कार्यवाहक), क्षेत्रीय केंद्र गुवाहाटी के समग्र मार्गदर्शन में किया गया था। इसका आयोजन श्री ए.के. यादव और डॉ. प्रणब दास, वैज्ञानिक (संगठन सचिव); डॉ. एस. येंगकोकपम (वरिष्ठ वैज्ञानिक), डॉ. डी.के. मीना और डॉ. एस. बोराह, वैज्ञानिक (सह-संगठन सचिव) द्वारा किया गया। श्री एफ. हसबर, मत्स्य अधिकारी, री-भोई जिले और री-भोई जिले के एक अन्य मत्स्य अधिकारी ने कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम में री-भोई किसान संघ के तहत इलाके के 60 आदिवासी मछली किसानों ने भाग लिया, जिसका नेतृत्व श्री डी. माजॉ, अध्यक्ष और श्री के. ब्राइटस्टार, सचिव ने किया। इस कार्यक्रम में स्थानीय मीडिया के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।

  

श्री डी. मजाव ने दिन भर चलने वाले इस कार्यक्रम के बारे में बताया और प्रतिभागियों और गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। डॉ. बी. के. भट्टाचार्य ने उद्घाटन भाषण दिया और इस कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि संस्थान ने खुले पानी के लिए सिफ़री-जीआई केज, सिफ़री-एचडीपीई पेन और सिफ़री -केजग्रो फ्लोटिंग फीड का व्यवसायीकरण किया है। उन्होंने पूर्वोत्तर क्षेत्र विशेषकर मेघालय के खुले पानी में मत्स्य पालन के विकास के लिए संस्थान द्वारा की जा रही विभिन्न गतिविधियों के बारे में बताया। डॉ. प्रोनोब दास ने सिफ़री-कैजग्रो फीड के उपयोग और वैज्ञानिक गुणों के साथ-साथ मछली पालन में मछली फ़ीड की भूमिका और विभिन्न फीडिंग विधियों के बारे में बताया। श्री ए.के. यादव ने प्रतिभागियों को सिफ़री -केजग्रो फीड के लाभ और खुले पानी में मत्स्य पालन के लिए विकसित अन्य प्रौद्योगिकियों के बारे में बताया। श्री एफ. हसबर ने उमियाम जलाशय में केज की खेती सहित राज्य में मत्स्य पालन के विकास के लिए संस्थान को उनके द्वारा किए गए प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने वैज्ञानिक मछली पालन के विभिन्न पहलुओं के बारे में भी बताया।

बातचीत के दौरान, प्रतिभागियों ने मत्स्य पालन और जलीय कृषि के विभिन्न पहलुओं पर वैज्ञानिकों से आलोचना की। डॉ. भट्टाचार्य ने प्रतिभागियों से उच्च उत्पादन, आय वृद्धि और आजीविका के लिए वैज्ञानिक मछली पालन विधियों को अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने लाभार्थियों से सिफ़री केजग्रो (CIFRI-CAGEGROW) फ़ीड के प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया साझा करने का भी आग्रह किया। इस अवसर पर जिले के 30 आदिवासी मछुआरा परिवारों को कुल 2000 किलो सिफ्री-केजग्रो फ्लोटिंग फीड वितरित किया गया। श्री के. ब्राइटस्टार ने री-भोई किसान संघ के मछुआरों की तरफ से संस्थान को उनके निरंतर समर्थन के लिए धन्यवाद दिया और वितरित किए गए फ़ीड के सफलतापूर्वक उपयोग की निगरानी करने का वादा किया।




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