8, मार्च, 2022
आईसीएआर-सिफ़री ने 8 मार्च, 2022 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, इस वर्ष के थीम को ध्यान में रखते हुए "एक सुनहरे भविष्य के लिए लैंगिक समानता: अन्तर्स्थलीय मत्स्य पालन के विशेष संदर्भ में " विषय पर हाइब्रिड मोड पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया। इस कार्यक्रम के संयोजक तथा संस्थान के निदेशक डॉ. बि. के. दास ने स्वागत भाषण से कार्यक्रम की शुरुवात हुई । उन्होंने स्वयं संस्थान में लैंगिक समानता के परिदृश्य का उल्लेख किया और अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी क्षेत्र में संस्थान में कार्यरत महिला पेशेवरों की भूमिका के बारे में जानकारी दी। उन्होंने अन्तर्स्थलीय मत्स्य पालन में विशेष रूप से एसआईएफ के कलेक्टर के रूप में मछुआरा महिलाओं की भूमिका और पोषण सुरक्षा प्रदान करने में इनकी भूमिका पर प्रकाश डाला और सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को मत्स्य पालन में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण में सिफ़री की भूमिका के बारे में भी उल्लेख किया, जिसमें नहर मत्स्य पालन या वर्षा आधारित तालाब में मछली पालन और स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से उनकी भागीदारी को सिफ़री द्वारा प्रोत्साहित किया गया था।
कार्यक्रम की शोभा वर्द्धन करने के लिए मुख्य अतिथि के तौर पर भारतीय विज्ञान कांग्रेस संस्था की अध्यक्ष डॉ. विजया लक्ष्मी सक्सेना ऑनलाइन में शामिल थी। उन्होंने साझा किया कि महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में बदलाव के बावजूद भी विभिन्न सामाजिक उत्पीड़न से वे आज भी प्रभावित होती हैं जो उन्हें समाज में समानता प्राप्त करने से रोकते हैं। उन्होंने विश्व आर्थिक मंच द्वारा "जेंडर गैप रिपोर्ट, 2021" के संदर्भ में लिंग भेद और लिंग समानता प्राप्त करने में शिक्षा की भूमिका के संदर्भ में भारतीय महिलायों की स्थिति पर अपनी चिंता व्यक्त की। प्रो. भास्करम मणिमारन, पूर्व कुलपति, टीएन डॉ. जयललिता मत्स्य विश्वविद्यालय और अध्यक्ष, आरएसी भी कार्यक्रम में उपस्थित थे और उनका मानना था कि महिलाओं को समाज के विकास को सुनिश्चित करने के लिए सशक्त बनाया जाना चाहिए और साथ ही उन्होनें महिला प्रकोष्ठ के संचालन के लिए सिफ़री की सराहना की। डॉ. एस. के जैन, आरएसी के सदस्य ने अपने भाषण की शुरुआत एक सुंदर वक्तव्य से किया -"पृथ्वी मुस्कुराती है जब महिलाएं मुस्कुराती हैं" जो वास्तव में एक ऐसे समाज की छवि हमारे सामने प्रस्तुत करते हैं जिसमें अधिकारों के मामले में समानता है और सामाजिक रूप से न्यायपूर्ण भी । और यह लैंगिक समानता प्राप्त करने से ही हमारे देश को आर्थिक रूप से भी लाभ होगा। डॉ. (श्रीमती) लीला एडविन, निदेशक (कार्यवाहक) भाकृअनुप-केंद्रीय मत्स्य प्रौद्योगिकी संस्थान और प्रो. सुहिता चक्रवर्ती (दास), प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष, बिधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय सम्मानित अतिथि थे। डॉ. एडविन ने एक प्रस्तुति के माध्यम से बहुत ही समृद्ध व्याख्यान दिया जहां उन्होंने मत्स्य पालन और संबद्ध क्षेत्रों में महिलाओं की बेहतर भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न तकनीकों को शुरू करने में सीआईएफटी की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने महिलाओं को सक्षम बनाने के लिए प्रशिक्षण और कौशल विकास की आवश्यकता का सुझाव दिया। सिफ़री की सहायक प्रशासनिक अधिकारी श्रीमती पौशाली मुखर्जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया । कार्यक्रम की संयोजक डॉ. अपर्णा राय, डॉ. सुमन कुमारी ने बहुत ही शालीनता से कार्यक्रम का संचालन किया। कुल 114 प्रतिभागियों ने ऑनलाइन तथा ऑफलाइन मोड में भाग लिया। लैंगिक समानता की प्रासंगिकता को उजागर करने के अपने उद्देश्य में कार्यक्रम सफल रहा और महिलाओं को अपने भविष्य को उज्ज्वल करने की प्रेरणा भी दी।