कार्यक्रम संस्थान के निदेशक डॉ. बि. के. दास के कुशल मार्गदर्शन में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. एच. बालकृष्ण, एमसीएस, मणिपुर के मत्स्य पालन निदेशक थे। कार्यक्रम का नेतृत्व डॉ. बी. के. भट्टाचार्य, संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र गुवाहाटी के प्रभारी ने किया और संस्थान से डॉ. सोना येंगकोकपम, वरिष्ठ वैज्ञानिक; डॉ. एस. सी. एस. दास, वैज्ञानिक; डॉ. एन. एस. सिंह, वैज्ञानिक; सुश्री टी. निरुपदा चानू, वैज्ञानिक शामिल हुए और श्री दिनेश्वर,। पहला व्याख्यान डॉ. कृष्णा आर. सालिन, अध्यक्ष, जलीय कृषि और जलीय संसाधन प्रबंधन कार्यक्रम (एएआरएम), पर्यावरण, संसाधन और विकास संस्था (एसईआरडी), एशियाई प्रौद्योगिकी संस्थान (एआईटी), क्लोंग लुआंग, पथुमथानी, थाईलैंड द्वारा "एक्वाकल्चर सिस्टम विविधीकरण: एशिया से सफल उदाहरण" पर दिया गया। दूसरा व्याख्यान प्रो. (डॉ.) रेने एच. विजफेल्स, प्रोफेसर, एग्रोटेक्नोलॉजी और खाद्य विज्ञान विभाग, वैगनिंगन यूनिवर्सिटी, नीदरलैंड द्वारा "टूवर्ड्स इंडस्ट्रियल माइक्रोएल्गे प्रोडक्शन फॉर फूड एंड फीड एप्लीकेशन" पर था और तीसरा डॉ. जॉर्ज डायस, सह-संस्थापक और सीईओ और प्रोडक्शन मैनेजर, स्पारोस एलडीए, पुर्तगाल द्वारा "एक्वाफीड्स में माइक्रोएल्गे की क्षमता को बढ़ाने" विषय पर था।
डीएफओ बिष्णुपुर जिला; श्री हेमचंद्र सिंह, एफओ और श्री राजीव, एफआई, डीओएफ, मणिपुर भी कार्यक्रम में उपस्थित थे। कार्यक्रम में लगभग 130 मछुआरों और अन्य हितधारकों ने भाग लिया। आलोचना सत्र के दौरान, श्री बालकृष्ण सिंह, मत्स्य निदेशालय के निदेशक ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और मछुआरों को स्टॉक किए गए पेंगबा अंगुलिमीन को न पकड़ने की सलाह दी ताकि मछलियों को झील में बढ़ने का मौका मिल सके। उन्होंने मछुआरों और अन्य हितधारकों से भी अपील कि की अगर गलती से यह मछली उनके पकड़ में आता हैं तो तुरंत पेंगबा मछली को छोड़ दिया जाय। डॉ. सोना येंगकोकपम ने मछुआरों को लोकतक झील के पारिस्थितिकी तंत्र में पेंगबा मछली के महत्व के बारे में बताया। झील में पेंगबा पालन के प्रभाव और स्थानिक राज्य मछली और अन्य देशी मछलियों के अन्य विभिन्न संरक्षण उपायों को सुश्री टी.एन. चानू द्वारा मछुआरों और हितधारकों को संक्षेप में समझाया गया। डॉ. एस.सी.एस. दास ने पेंगबा के जीव विज्ञान और झील में मछली पकड़ते समय सावधानी के बारे में बताया। पेंगबा के जीवित रहने के लिए आवश्यक अनुकूल वातावरण और बेहतर विकास पर डॉ. एन.एस. सिंह ने संक्षेप में चर्चा की। मछुआरों के एक प्रतिनिधि श्री सनायिमा ने इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करने के लिए आईसीएआर-सिफ़री का आभार व्यक्त किया और झील में पेंगबा के संरक्षण के लिए मौजूदा दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए सहमती व्यक्त की