दक्षिण सलमारा मनकाचार में सजावटी मत्स्य पालन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम
31 मार्च, 2022
असम राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा भाकृअनुप-केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सिफ़री) के क्षेत्रीय केंद्र, गुवाहाटी और मत्स्य पालन विभाग, एसएसएम जिला हत्सिंगमारी के सहयोग से दक्षिण सलमारा मनकाचर (एसएसएम) जिले के जिला प्रशासन की देखरेख में 'आजीविका सुधार और ग्रामीण विकास के लिए सजावटी मछली पालन' पर 28-30 मार्च, 2022 के दौरान एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में 10 स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) की 30 मछुआरा सदस्यों ने भाग लिया। सुश्री पल्लवी सरकार, आईएएस, उपायुक्त, एसएसएम जिला, डॉ. बि.के. दास, संस्थान के निदेशक, डॉ. बी.के. भट्टाचार्य, क्षेत्रीय केंद्र गुवाहाटी के प्रमुख और सैयद मुफ्ती आलम, प्रभारी, जिला परियोजना प्रबंधक, असम राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, एसएसएम जिला के सक्रिय नेतृत्व में प्रशिक्षण सफलतापूर्वक आयोजित किया गया था।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए संसाधन व्यक्ति थे डॉ. दीपेश देबनाथ, वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. एस.सी.एस. दास, वैज्ञानिक, क्षेत्रीय केंद्र गुवाहाटी से ; श्री पलाश पॉल, सजावटी मछली उद्यमी, बिलाशीपारा, धुबरी; श्री इब्राहिम अली खान, उप-मंडल मत्स्य विकास अधिकारी (एसडीएफडीओ), एसएसएम और श्री अब्दुस सलाम, एफडीओ, एसएसएम जिला। स्वयं सहायता समूह के मछुआरों को दक्षिण सालमारा मनकाचर में सजावटी मत्स्य पालन की संभावनाओं, सजावटी मूल्यों वाली मछलियों की किस्मों (विदेशी और स्वदेशी दोनों), सामान्य सजावटी मछलियों के प्रजनन और पालन, मछलियों की हैंडलिंग, पैकेजिंग और परिवहन, उनके रोगों और प्रबंधन के बारे में सिखाया गया। उन्हें एक्वेरियम टैंक की स्थापना और मछली पालन के लिए आवश्यक विभिन्न सामानों के बारे में भी बताया गया। क्षेत्र में कम लागत वाली मछली का चारा तैयार करने का प्रदर्शन भी किया गया।

एसएसएम जिले में समग्र मत्स्य विकास के लिए विभिन्न गतिविधियों के संभावनाओं के संबंध में सिफ़री, एफडीओ, एसडीडीएफडीओ, डीपीएम-एएसआरएलएम के वैज्ञानिकों द्वारा उपायुक्त और एसएचजी सदस्यों के साथ विस्तृत चर्चा और योजना बनाई गई। डीसी, एसएसएम जिले ने असम और बांग्लादेश के पिछड़े सीमावर्ती क्षेत्रों में मछुआरों की आय बढ़ाने और आजीविका में सुधार के लक्ष्य के साथ जिले में सजावटी मत्स्य पालन को बढ़ावा देने सहित मत्स्य पालन से संबंधित गतिविधियों में अत्यधिक रुचि ली। प्रशिक्षण के प्रतिभागी सजावटी मत्स्य पालन के वैज्ञानिक पहलुओं के बारे में जानकर अभिभूत थे और उन्होंने जिले में समग्र मत्स्य विकास के लिए साथी एसएचजी सदस्यों को प्रशिक्षण के दौरान सीखे गए अपने ज्ञान और कौशल को दूसरों के साथ सांझा करने का वादा किया।





यह वेबसाइट भाकृअनुप-केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त संगठन से सम्बंधित है। कॉपीराइट @ 2010 आईसीएआर, यह वेबसाइट 2017 से कृषि ज्ञान प्रबंधन इकाई द्वारा विकसित और अनुरक्षित है।
अंतिम बार 31/03/22 को अद्यतन किया गया