उद्घाटन सत्र में, निदेशक, डॉ. बि. के. दास ने प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने प्रशिक्षुओं के साथ विस्तार तौर पर चर्चा बातचीत की और उन्हें अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी प्रबंधन पर ज्ञान और कौशल विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जिससे उन्हें रोजगार और आजीविका सुरक्षा में मदद मिलेगी। डॉ. दास ने प्रशिक्षुओं को भारत के अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी क्षेत्र में उपलब्ध नए उद्यमशीलता अवसरों के बारे में भी जानकारी दी।
शेखपुरा जिले में ऐसे बहुत सारे जल संसाधन हैं जो किसानों की आजीविका विकास में मददगार साबित हो सकते हैं क्योंकि यहाँ अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी के विकास के माध्यम से आजीविका में सुधार की पर्याप्त संभावनाएं हैं। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी प्रबंधन के प्रति किसानों के ज्ञान और कौशल विकास के साथ उनके दृष्टिकोण को भी मात्स्यिकी द्वारा रोजगार उन्मुख करना है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में मछली चारा प्रबंधन, मछलियों में रोग एवं विषाणु संक्रमण प्रबंधन, मिट्टी औरजल रसायन विज्ञान, प्रेरित प्रजनन, मिश्रित मछली पालन, सजावटी मत्स्य पालन, पिंजरे में मछली पालन तथा मछली पालन का आर्थिक महत्व आदि सत्र शामिल किए गए थे। कार्यक्रम समाप्ति में प्रशिक्षुओं से फीडबैक भी लिया गया। इस कार्यक्रम में ऑन-फील्ड एक्सपोजर विज़िट और फील्ड प्रदर्शनों के माध्यम से तालाबों और टैंकों में मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों के प्रशिक्षण दिया गया है। अतः उक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम का मछुआरों/ मत्स्य किसानों पर आजीविका में सुधार के लिए सकारात्मक कदम साबित हो सकता है।