मत्स्य निदेशालय, छत्तीसगढ़ के सहयोग से छत्तीसगढ़ में पेन में मछल पालन प्रदर्शन- सह- जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन
13 मई, 2022
छत्तीसगढ़ राज्य मध्य भारत का एक सघन वनाच्छादित राज्य है। इस राज्य में कुल 42 अनुसूचित जनजातियां हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, छत्तीसगढ़ में भारत की जनजातीय आबादी का लगभग 7.5 प्रतिशत लोग आते हैं और राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 30 प्रतिशत लोग जनजाति समुदाय से हैं। सिफ़री ने मत्स्य निदेशालय, छत्तीसगढ़ के सहयोग से इस राज्य के जनजातियों की सामाजिक-आर्थिक उत्थान के लिए पहल किया है। इस राज्य के अन्तर्स्थलीय खुले जल संसाधनों में जलाशय और बांध प्रमुख हैं। सिफ़री के निदेशक डॉ. बि.के. दास के नेतृत्व में राज्य के चयनित छोटे जलाशयों में प्राथमिक मछुआरा सहकारी समितियों (पीएफसीएस) की सहायता से मछली उत्पादन वृद्धि कार्यक्रम शुरू किया गया है। इस क्रम में संस्थान ने छत्तीसगढ़ के दस चयनित छोटे जलाशयों (तोरेंगा, बहेरा खार, सुतिया पथ, मतियामोती बांध, कोसेर्टेडा, राबो, घुंघुट्टा, गेज, केशवनाला) में मछली उत्पादन वृद्धि 20 पेन, 10 इंजन वाली नाव, 20 कोराकल और 20 टन सिफ़री केज ग्रो फीड दिया है। सिफ़री ने इन जलाशयों में कम लागत में अधिक उत्पादन वृद्धि के उद्देश्य से दिनांक 13 मई, 2022 को मत्स्य विभाग, छत्तीसगढ़ के सहयोग से तोरेंगा जलाशय में पेन में मछली पालन का प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किया। सिफ़री के निदेशक,किया। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ. बि.के दास और मत्स्य पालन विभाग, छत्तीसगढ़ के निदेशक, श्री एन.एस. नाग ने जलाशय में स्थापित पेन में मत्स्य बीजों को छोड़ा। इसके बाद एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया। डॉ. दास ने सभा को संबोधित करते हुए जलाशयों में मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए पेन पालन तथा आजीविका और पोषण सुरक्षा के लिए मछली पालन के महत्व पर प्रकाश डाला। छत्तीसगढ़ मत्स्य पालन विभाग के निदेशक, श्री एन.एस. नाग ने आदिवासी मछुआरों को संबोधित करते हुए कहा कि पेन पालन के माध्यम से जलाशय में मछली के बीज को बढ़ाया जा सकता हैं, जो न केवल जलाशय के उत्पादन में सुधार करेगा बल्कि उत्पादन की लागत को भी कम करेगा और साथ ही मछुआरों की आजीविका में सुधार होगा। इस कार्यक्रम में कुल 56 आदिवासी उपस्थित हुए । सिफ़री ने केंद्रीय रेशम बोर्ड द्वारा वित्त पोषित एक परियोजना के तहत एक पेलेट फ़ीड विकसित किया है। सिफ़री के निदेशक द्वारा इसके परीक्षण के लिए आदिवासी मछुआरों को कुल 5 किलोग्राम के 10 थैली फ़ीड दिया गया। इस पेलेट फ़ीड का आकार 2, 3 और 4 मिमी है जिसमें क्रमशः 32% क्रूड प्रोटीन और 6% लिपिड, 28% क्रूड प्रोटीन और 5% लिपिड और 25% क्रूड प्रोटीन और 5% लिपिड थे। ये तैरते हुए फ़ीड अत्यधिक सुपाच्य और पानी में स्थिर रहने वाले हैं, जिससे मछलियों का विकास उत्तम होता हैं और वे स्वस्थ, अतिसक्रिय और ऊर्जावान रहती हैं।




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