डूमा में एकीकृत आर्द्रभूमि प्रबंधन
17 जून, 2022
आर्द्रभूमि को उसकी पारिस्थितिक विशेषतायों के कारण मानव जाति के लिए वरदान माना जाता है और आईसीएआर- सिफ़री पिछड़े हुए वर्गों की आजीविका के सुधार के लिए आर्द्रभूमि मत्स्य पालन विकास पर लगातार काम कर रहा है। निदेशक डॉ. बि.के. दास के नेतृत्व में अनुसूचित जाति उपयोजना कार्यक्रम (एससीएसपी) के तहत वर्ष 2021 में उत्तर 24 परगना, पश्चिम बंगाल के डूमा आर्द्रभूमि में एकीकृत आर्द्रभूमि प्रबंधन विकास पर कार्य शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य तीन साल की अवधि में मछली उत्पादन को 1000 किग्रा / हेक्टेयर / वर्ष तक बढ़ाना था।

डूमा एशिया की सबसे बड़ी घोड़े की नाल के आकार की आर्द्रभूमि में से एक है, जिसका क्षेत्रफल 257 हेक्टेयर है और पानी की गहराई 8 - 17 फीट है। आर्द्रभूमि का प्रबंधन अधिकार डूमा फिशरमेन कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के पास है, जिसमें 30 महिला मछुआरों सहित 1081 सदस्य हैं। आसपास के 9 गांवों के मछुआरे परिवार पूरी तरह से इस आर्द्रभूमि पर निर्भरशील हैं। इस आर्द्रभूमि से मछली उत्पादन को बढ़ाने के लिए पिछले वर्ष एचडीपीई पेन, मछली फ़ीड, आईएमसी के मछली बीज, सिस्टोमस सरना और ग्रास कार्प जैसे मत्स्य पालन इनपुट वितरित किए गए थे। इन सबके सहयोग से सहकारी समिति ने मछलियों को पेन में बड़ा किया और 35-40 ग्राम का आकार प्राप्त करने के बाद कम निवेश में बेहतर उत्पादन के लिए मछलियों को आर्द्रभूमि में छोड़ दिया। वर्ष 2021 में उन्होंने छोटी देशी मछली के अलावा लगभग 30 लाख मूल्य की लगभग 15 टन व्यावसायिक मछली का उत्पादन किया था। मछलियों को स्थानीय बाजार और मछली डीलरों के माध्यम से बेचा गया। इसके अलावा, 500 से अधिक सक्रिय मछुआरे नियमित रूप से 1-2 कि.ग्रा. औसत वजन के छोटी देशी मछलियों जैसे गुडुसिया छपरा, एंब्लीफरींगोडन मोला, सिस्टोमस सरना, पुंटियस एसपीपी, ग्लोसोगोबियस ग्यूरिस, मैक्रोग्नाथस एसपीपी, कैटफ़िश, छोटे आकार के मुर्रल आदि पकड़ते हैं।

पिछले वर्ष की गतिविधियों के क्रम को आगे बढ़ाते हुए इस वर्ष भी 17 जून 2022 को "पेन कल्चर प्रदर्शन सह जागरूकता कार्यक्रम" आयोजित किया गया था। छह पेन में लगभग 780 किलोग्राम मछली के बीज को रखा गया और खरपतवार अवरुद्ध आर्द्रभूमि होने के कारण 'ग्रास कार्प मॉडल को ही अपनाया गया। इस जन जागरूकता कार्यक्रम में मछुआरों को एकीकृत आर्द्रभूमि प्रबंधन के विकास के विभिन्न पहलुओं के बारे में जागरूक किया गया, जिसमें निवेश की लागत को कम करने के लिए पेन कल्चर के माध्यम से मछली के बीज को इन-सीटू बड़ा करना भी शामिल था। आर्द्रभूमि मात्स्यिकी के विकास के लिए पेन कल्चर का प्रदर्शन कर मछुआरों को प्रेरित किया गया। डूमा में आयोजित इस कार्यक्रम के दौरान सिफ़री के निदेशक डॉ. बि.के. दास ने मछुआरों को अपनी आय में वृद्धि और छोटी देशी मछली प्रजातियों के संरक्षण के लिए आर्द्रभूमि में ऑटो-स्टॉक किए गए उच्च मूल्य वाले माइनर कार्प को अपनाने की सलाह दी।

निदेशक महोदय ने आर्द्रभूमि में जलमग्न मैक्रोफाइट्स को नियंत्रित करने के लिए ग्रास कार्प को स्टॉक करने का सुझाव दिया और अगले वर्ष के लिए अतिरिक्त लाभ के 50% का उपयोग रिवॉल्विंग फंड के रूप में करने की भी सलाह दी। जागरूकता के साथ-साथ एकीकृत आर्द्रभूमि प्रबंधन से संबंधित प्रमुख मुद्दों का आकलन करने के लिए भागीदारी ग्रामीण मूल्यांकन (पीआरए) गतिविधि भी की गई।




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