श्री जे.एच. सुचियांग, मत्स्य पालन उप निदेशक, डीओएफ, मेघालय ने प्रतिभागियों का स्वागत किया और विचार-मंथन सत्र के उद्देश्य के बारे में बताया। डॉ.ए.के. यादव ने भारत में अंतर्स्थलीय मत्स्य पालन से मौजूदा डेटा संग्रह और रिपोर्टिंग प्रणाली के अवलोकन पर व्याख्यान दिया। उन्होंने नदियों, आर्द्रभूमि, झीलों और जलाशयों से मछली पकड़ने के आकलन के तरीकों के विषय में सरल दिशानिर्देशों पर भी चर्चा की। डॉ.एस. बोरा ने तालाबों और टैंकों के लिए मछली पकड़ने के आकलन के तरीके प्रस्तुत किए। उन्होंने अंतर्स्थलीय खुले जल प्रणालियों के लिए मत्स्य पालन बढ़ाने के विकल्प और अंतर्स्थलीय जलीय कृषि के लिए प्रौद्योगिकियों के बारे में भी बताया। पहाड़ी राज्य के जल निकायों से डेटा संग्रह में बाधाओं पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया और तदनुसार राज्य के जल निकायों से सटीक मछली उत्पादन अनुमानों पर पहुंचने के उपाय सुझाए गए। डीओएफ, मेघालय की ओर से सुश्री ए.एल. मावलोंग, एमसीएस, निदेशक मात्स्यिकी, मेघालय ने संस्थान के निदेशक डॉ. बि.के. दास, का धन्यवाद दिया, कि उन्होने अनुरोध को स्वीकार करते हुए, वैज्ञानिकों को नियुक्त किया और कार्यक्रम को सफलतापूर्वक आयोजित किया।