उत्तर 24 परगना के बेलेडांगा और चामता बील में एकीकृत आर्द्रभूमि प्रबंधन पर हितधारकों की बैठक
9 जुलाई, 2022
पश्चिम बंगाल में मछुआरों के लिए आर्द्रभूमि मत्स्य पालन उनकी आजीविका और भोजन के प्रमुख स्रोतों में से एक है। भाकृअनुप-केंद्रीय अंतर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान आर्द्रभूमि मात्स्यिकी के विकास में अनुकूल प्रौद्योगिकियों को अपनाकर लगातार मात्स्यिकी संवर्धन पर कार्य कर रहा है। इस क्रम में अनुसूचित जनजाति उपयोजना (एससीएसपी) कार्यक्रम के तहत, बील मछुआरो को पेन में मछली पालन तथा संबन्धित तकनीकों को अपनाने के लिए प्रेरित किया गया है। इस संदर्भ में उत्तर 24 परगना के बेलेडांगा और चामता बील में 9 जुलाई, 2022 को एकीकृत आर्द्रभूमि प्रबंधन के लिए पेन में मछली पालन प्रौद्योगिकी पर दो हितधारक बैठक-सह- जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।


इस कार्यक्रम में 60 मत्स्य किसानों (प्रत्येक आर्द्रभूमि से 30 मछुआरे) ने भाग लिया। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक, डॉ. बि. के. दास ने अपने सम्बोधन में सतत और स्थायी आर्द्रभूमि मत्स्य पालन और पेन में मछली पालन के महत्व पर जोर देते हुए आर्द्रभूमि से मछली उत्पादन बढ़ाने के उपायों का उल्लेख किया। उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए सामुदायिक भागीदारी के बारे में बील मछुआरों का मार्गदर्शन कर, उन्हे वर्तमान वर्ष की अतिरिक्त आय से अगले वर्ष में निवेश की राशि स्वरुप संचित करने पर जोर दिया। मछुआरों की समस्यायों और चुनौतियों पर चर्चा की गयी। डॉ. दास ने आर्द्रभूमि से सतत मत्स्या पालन और पोषण सुरक्षा के लिए छोटी देशी मछलियों के संरक्षण पर भी जोर दिया। इस सभा में डॉ. अरुण पंडित, प्रधान वैज्ञानिक और डॉ. पी.के. परिदा, वैज्ञानिक ने उत्पादन और संरक्षण के तरीकों के बारे में बताया। इस कार्यक्रम में बेलेडांगा और चामता आर्द्रभूमि के समिति सदस्यों में लगभग 7 टन सिफरी फ़ीड वितरित किया गया।


मछुआरों ने सिफरी के सहयोग और हस्तक्षेप के लिए आभार व्यक्त किया। तकनीकी टीम ने दोनों आर्द्रभूमि के परिस्थितिकी के गुणवत्ता विश्लेषण के लिए पानी और तलछट के नमूने एकत्र किए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अरुण पंडित, डॉ. पी.के. परिदा, सुश्री संगीता चक्रवर्ती, श्री कौशिक मंडल, श्री पूर्ण चंद्र द्वारा किया गया ।





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