असम के बक्सा जिले में बाढ़ के बाद पर्यावरण निगरानी शिविर आयोजित
11 जुलाई, 2022
इस साल अप्रैल-जुलाई के दौरान असम बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित रहा। राज्य के विभिन्न जलाशयों में बील मत्स्य पालन और मछली तालाबों सहित बाढ़ के पानी से न केवल मछ्ली को बल्कि पर्यावरण को भी काफी नुकसान हुआ है। उत्पादन और उत्पादकता में पर्यावरण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए, जलीय कृषिविदों और मछुआरों के बीच पर्यावरणीय स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता पैदा करना बेहद जरूरी है। इस मुद्दे को हल करने के लिए, आईसीएआर-सिफरी के गुवाहाटी क्षेत्रीय केंद्र ने 10 जुलाई, 2022 को चरण बील, बक्सा जिले, असम में "राष्ट्रीय मत्स्य किसान दिवस, 2022" के अवसर पर "बाढ़ के बाद पर्यावरण निगरानी शिविर" का आयोजन किया। कार्यक्रम संस्थान के निदेशक डॉ. बि.के.दास के समग्र मार्गदर्शन में आयोजित किया गया था; और गुवाहाटी क्षेत्रीय केंद्र के प्रमुख (कार्यवाहक), डॉ. बी. के. भट्टाचार्य, ने इसे सुचरु रुप से परिचालित किया। कार्यक्रम में धुलबाड़ी चरणपार जनजाति उन्नयन समिति, देउलकुची इलाके के 50 से अधिक आदिवासी मछुआरो ने भाग लिआ और श्री नरेन बसुमतारी (अध्यक्ष) और श्री जादू स्वार्गियारी (सचिव) ने नेतृत्व किया। गुवाहाटी क्षेत्रीय केंद्र के वैज्ञानिक (डॉ. बी. के. भट्टाचार्य, डॉ. ए.के. यादव, डॉ. प्रणब दास, डॉ. एस.सी.एस. दास और डॉ. एस. बोरा) और श्री ए. काकाती, एसटीए ने इलाके के जल निकायों की पर्यावरणीय स्थितियों की निगरानी और बील में मत्स्य पालन के दृष्टिकोण से पर्यावरण स्वास्थ्य प्रबंधन के महत्व के बारे में बताया।