श्री पुरुषोत्तम रूपाला जी ने वाराणसी, उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय रैंचिंग कार्यक्रम का शुभारंभ किया
19 अगस्त, 2022
"आज़ादी का अमृत महोत्सव" वर्ष और जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर, भाकृअनुप-केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर ने 'राष्ट्रीय रैंचिंग कार्यक्रम-2022' के तहत वाराणसी (उत्तर प्रदेश) के अस्सी घाट में दिनांक 19 अगस्त 2022 को रैंचिंग कार्यक्रम का आयोजन किया। संस्थान ने 'नमामि गंगे' कार्यक्रम के तहत गंगा नदी मात्स्यिकी विकास तथा घट रही प्रजातियों के पुनरुद्धार हेतु एक जन-जागरूकता अभियान और मछली रैंचिंग कार्यक्रम कार्यक्रम का आयोजन किया। यह कार्यक्रम माननीय राज्य मंत्री, पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग, भारत सरकार, श्री. पुरुषोत्तम रूपाला जी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद तथा इसके वाराणसी के गणमान्य अधिकारी उपस्थित थे जिनमें प्रमुख हैं - डॉ जे के जेना, उप-महानिदेशक (मत्स्य विज्ञान), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद; श्री कौशल राज शर्मा, जिला अधिकारी, वाराणसी; डॉ. बि.के. दास, निदेशक, भाकृअनुप-सिफरी आदि ।
इस अवसर पर गंगा नदी (रोहू, कतला और मृगल) के दो लाख से अधिक कृत्रिम रूप से निषेचित वाइल्ड मछली प्रजातियों के जर्मप्लाज्म को दिनांक 19 अगस्त, 2022 को वाराणसी के अस्सी घाट में गंगा संरक्षण पर जन जागरूकता अभियान द्वारा छोड़ा गया ।
माननीय मंत्री श्री रूपाला जी ने सर्वप्रथम माननीय प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी जी को आभार व्यक्त किया कि उनके पहल से ही पावन नगरी, काशी के गंगा नदी में मत्स्य अंगुलिकाओं की रैंचिंग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि गत 4 वर्षों में लगभग 190 मछली प्रजातियों की उपलब्धता को इस नदी में दर्ज किया गया है जिससे अससपास रहने वाले मछुआरों की आजीविका और आर्थिक उन्नयन में मदद मिली है। उन्होंने यह आशा व्यक्त किया कि प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत नदियों में किया जा रहे रैंचिंग गतिविधियों से मछुआरों की आय में सतत वृद्धि और स्थिरता आएगी।
उप-महानिदेशक (मत्स्य विज्ञान), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने मछुआरों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के उन्नयन और पारिस्थितिकी तंत्र की स्थिरता में गंगा मात्स्यिकी के महत्व पर प्रकाश डाला।
डॉ. बसंत कुमार दास, निदेशक, भाकृअनुप-सिफरी ने मुख्य अतिथि और सम्मानित अतिथियों का स्वागत किया और उन्हें नमामि गंगे परियोजना के तहत भाकृअनुप-सिफरी की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय रैंचिंग कार्यक्रम के तहत उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में गंगा नदी के कई क्षेत्रों में 58 लाख से अधिक वाइल्ड मछलियों को छोड़ा गया । उन्होंने स्थानीय मछुआरों को जागरूक किया और मछलियों और डॉल्फ़िन को बनाए रखने के लिए आवश्यक गंगा के स्वास्थ्य के महत्व पर प्रकाश डाला।
डॉ. संदीप कुमार बेहरा, सलाहकार, नमामि गंगे ने नदी में देशी मछली प्रजातियों के संरक्षण के लिए राज्य तथा केंद्र सरकार के बीच समन्वय को बढ़ाने पर जोर डाला। उन्होंने कहा कि प्रजनन अवधि के दौरान मत्स्ययन निषेध के लिए राज्यों को सख्त दिशा-निर्देश जारी करने के लिए माननीय केन्द्रीय मंत्री के हस्तक्षेप की आवशयकता है। नमामि गंगे परियोजना के तहत देश के चार राज्यों में गंगा नदी के विभिन्न स्थलों पर लगभग 58 लाख से अधिक वाइल्ड कार्प प्रजातियों को छोड़ा गया है।
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन प्रमुख उद्देश्य मछली प्रजाति विविधता का सर्वेक्षण, बहुमूल्य रोहू, कतला, मृगल, कालबासु और महासीर का स्टॉक मूल्यांकन के साथ-साथ चयनित मछली प्रजातियों के बीज उत्पादन और नदी में घटती मत्स्य प्रजातियों के पुनरुद्धार हेतु रैंचिंग शामिल हैं। कालबासु, मृगल और रोहू जैसी मछलियाँ न केवल मछली पकड़ में वृद्धि करेंगी बल्कि नदी की स्वच्छता को बनाए रखने में भी मदद करेंगी क्योंकि ये नदी में उपस्थित कार्बनिक अवशेषों को खा जाती हैं।
इस कार्यक्रम में समाज के सभी वर्गों की सक्रिय भागीदारी देखी गई जिससे जन जागरूकता द्वारा गंगा नदी और इसकी बहुमूल्य मछलियों को बचाया जा सके ।