बैठक के आरंभ में डॉ. गणेश चंद्र, प्रभारी, संस्थान प्रौद्योगिकी प्रबंधन इकाई ने सभी अतिथियों और गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया और आईसीएआर-सिफरी सर्कुलर केज प्रौद्योगिकी के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 से आईसीएआर-सिफरी जीआई केज लाइसेंस के बाद मैसर्स दास और कुमार को संस्थान की तरफ से लाइसेंस प्राप्त यह दूसरी तकनीक है।
डॉ दास ने आगे कहा कि अब समय आ गया है कि भारत के विभिन्न हिस्सों में स्थित जलाशयों और आर्द्रभूमि में राज्य मत्स्य विभाग के साथ साझेदारी में इस नई पालन तकनीक को और भी लोकप्रिय बनाया जाए। उन्होंने कहा कि आईसीएआर-सिफरी वर्तमान में आईओटी के उपयोग से पिंजरों में मछलियों की फीडिंग और निगरानी सहित इनमें मछली पालन के स्वचालन तकनीक पर काम कर रहा है। साथ ही, पिंजरों में एंटी-फाउलिंग जाल पर भी कार्य चल रहा है।
श्री यश अग्रवाल, भागीदार, मैसर्स दास एंड कुमार, वाराणसी ने कहा कि उनका संगठन लंबे समय से सिफरी से जुड़ा हुआ है और इस प्रौद्योगिकी के विकास में दोनों संगठनों की सहभागिता अच्छा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि यह तकनीक कम लागत वाली, किफायती और किसान हितैषी है तथा इससे किसानों को अच्छा लाभ मिलेगा। 