डॉ. पी. दास ने कार्यक्रम में आए अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया और दिन भर चलने वाले इस कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में बताया। डॉ. एस. के. दास ने प्रतिभागियों को बताया कि मेघालय के उमियाम जलाशय में पिंजरा पालन पहली बार 2019 के दौरान आईसीएआर-सिफरी क्षेत्रीय केंद्र, गुवाहाटी द्वारा एनईएचआर, उमियम और री-भोई किसान संघ के सहयोग से शुरू किया गया था। उन्होंने कहा कि यह डॉ. जे. के. जेना, उपमहानिदेशक (मात्स्यिकी), आईसीएआर, नई दिल्ली के मार्गदर्शन और सिफरी, बैरकपुर के निदेशक डॉ. बि. के. दास की पहल के कारण यह संभव हुआ है। डॉ. बी.के. भट्टाचार्य ने उमियम जलाशय में पिंजरा पालन कार्यक्रम के लिए वित्तीय सहायता के लिए निदेशक महोदय को धन्यवाद दिया। उन्होंने उल्लेख किया कि आईसीएआर-सिफरी द्वारा विकसित पिंजरा पालन प्रौद्योगिकी को कार्यान्वित करने के लिए दोनों आईसीएआर संस्थानों ने मिलकर काम किया है ताकि मध्यम ऊंचाई की परिस्थितियों में पिंजरे की खेती की तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता का आकलन किया जा सके। उन्होंने जलाशय में किए गए तीन केज कल्चर परीक्षणों के परिणामों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने पूर्वोत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में आईसीएआर-सिफरी द्वारा की जा रही पिंजरा पालन गतिविधियों पर भी प्रकाश डाला। श्री डी. मजॉ ने लगातार तीसरे वर्ष उमियम जलाशय में सफलतापूर्वक पिंजरा पालन को लागू करने के लिए दोनों आईसीएआर संस्थानों को धन्यवाद दिया। री-भोई जिला के मत्स्य अधीक्षक सुश्री मेदा ए.के ने पिंजरा पालन पर भाग लेने वाले मछुआरों के साथ बातचीत की। उन्होंने राज्य के जलाशयों में पिंजरा पालन की व्यवहार्यता का आकलन करने के लिए दोनों आईसीएआर संस्थानों को उनके प्रयास के लिए धन्यवाद दिया। मेघालय सरकार के सहायक निदेशक (मात्स्यिकी), श्री पॉल तेरियनग ने खुले पानी में मात्स्यिकी के विकास के लिए आईसीएआर-सिफरी का विशेष उल्लेख करते हुए राज्य में मत्स्य पालन के विकास में उनके प्रयास के लिए दोनों आईसीएआर संस्थानों को धन्यवाद दिया। उन्होंने बताया कि विभाग ने वित्त वर्ष 2023-24 से 60% सब्सिडी के साथ राज्य में बड़े पैमाने पर पिंजरा पालन योजनाओं को लागू करने की योजना बनाई है। उन्होंने कार्यक्रम में तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए दोनों आईसीएआर संस्थान से भी अनुरोध किया। उम्निउह ख्वान गांव के प्रमुख श्री विलियम ल्योंगदोह ने आदिवासी मछुआरों के लाभ के लिए जलाशय में सफल पिंजरा पालन को लागू करने के लिए दोनों आईसीएआर संस्थानों को धन्यवाद दिया और भविष्य में इस गतिविधि को जारी रखने का वादा किया। इंटरैक्टिव सत्र के दौरान, वैज्ञानिकों ने पिंजरा पालन के विभिन्न पहलुओं पर प्रतिभागियों के साथ बातचीत की।
पिंजरे में पाले गए मछलियों की बिक्री का उद्घाटन श्री पॉल तारियांग, सहायक निदेशक (मात्स्यिकी), मेघालय सरकार द्वारा किया गया। बिक्री से री-भोई किसान संघ की 25 मछुआरा महिला परिवारों को सीधा लाभ होगा। इस अवसर पर, पिंजरों में पाले गए कुछ मछलियों (मुख्य रूप से रोहू) को जलाशय में मछली स्टॉक बढ़ाने के लिए छोड़ा गया।