संस्थान के निदेशक डॉ. बि.के.दास ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया और हमारे पारिस्थितिकी तंत्र में बेन्थोस की भूमिका और बेंथिक समुदाय का अध्ययन करने की आवश्यकता के बारे में प्रशिक्षुओं को बताया। उन्होंने उन्हें इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से पर्याप्त ज्ञान प्राप्त करने और अपने भविष्य के करियर में इस ज्ञान का उपयोग करने की भी सलाह दी। तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान, जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया, सेंट अल्बर्ट कॉलेज, कोच्चि, कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी और सीआईएफआरआई जैसे विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों के रिसोर्स पर्सन को बेनथोस के संग्रह की विभिन्न पद्धतियों, मॉर्फो टैक्सोनॉमी और मैक्रोबेन्थोस, और मईओबेनथोस की गणना के बारे में जानकारी प्रदान की गई। इसके अलावा, बेंथिक समुदाय की जैव विविधता का अध्ययन करने के लिए एक विशेष व्याख्यान की व्यवस्था की गई थी।
प्रशिक्षुओं के लिए पास की हुगली नदी से बेन्थोस के संग्रह पर एक व्यावहारिक सत्र के साथ-साथ नियमित प्रायोगिक कक्षाओं का आयोजन किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का समन्वय डॉ. प्रणय कुमार परिदा, श्री प्रणब गोगोई, सुश्री टी. निरुपदा चानू और श्रीमती प्रज्ञा ऋतंभरा स्वैन ने किया।