आजादी का अमृत महोत्सव काल में भाकृअनुप-सिफरी, बैरकपुर में एफपीसी बैठक का आयोजन
बैरकपुर ,30 अप्रैल, 2023
एफपीसी अर्थात एक किसान उत्पादक कंपनी जो किसानों का एक ऐसा समूह होता है और कृषि उत्पादन और संबंधित गतिविधि से युक्त होने के साथ-साथ कृषि व्यवसाय का संचालन और प्रबंधन करता है। यह समूह एक गाँव के कई किसानों अथवा या कई गाँवों को मिलकर हो सकता है। एफपीसी का मुख्य उद्देश्य किसान उत्पादक कंपनी (एफपीसी) नामक एक कंपनी के रूप में पंजीकरण करके कृषि व्यवसायों का निर्माण करना है। इस परिप्रेक्ष्य में, देश के पूर्वी क्षेत्र में कार्यरत एक गैर-सरकारी संस्था (एनजीओ) सुंदरबन ड्रीम्स के सहयोग से 29 अप्रैल, 2023 को भाकृअनुप-केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी, बैरकपुर में एक एफपीसी बैठक आयोजित की गई।

इस बैठक का उद्देश्य अन्तर्स्थलीय मत्स्य पालन के माध्यम से आजीविका वृद्धि पर एफपीसी सदस्यों की क्षमता का निर्माण करना था। इस एक दिनसीय कार्यक्रम में उद्घाटन सत्र और तीन तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया, जिनका शीर्षक था (1) आय सृजन हेतु मत्स्य पालन; (2) एफपीसी के लिए विपणन और वित्तीय रणनीतियाँ तथा (3) एफपीसी का विकास और निरीक्षण।

डॉ. एम.वी. राव, आईएएस, अध्यक्ष, पश्चिम बंगाल विद्युत नियामक आयोग इस सभा के मुख्य अतिथि और डॉ. बी.के. चाँद, संयुक्त निदेशक (अनुसंधान), पश्चिम बंगाल पशु और मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, कोलकाता ने विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. बि. के. दास, निदेशक, भाकृअनुप-सिफरी के स्वागत भाषण से जिसमें उन्होंने बताया कि एफपीसी को छोटे पैमाने के उत्पादकों, विशेष रूप से छोटे और साधनहीन किसानों का एक समूह बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है ताकि उनके हितों की रक्षा की जा सके। साथ ही, अन्तर्स्थलीय मत्स्य पालन उनके लिए निवेश से सुनिश्चित प्रतिफल प्राप्त करने के लिए यह एक उपयोगी उद्यम हो सकता है। इस कार्यक्रम में, विभिन्न एफपीसी की तीन महिलाओं सहित बारह किसानों को कृषि क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मानित किया गया। डॉ. एम.वी. राव ने किसानों को सक्रिय रूप से एफपीसी में काम करने के लिए प्रोत्साहित और प्रेरित किया क्योंकि एफपीसी आपसी संपर्क और संवाद के लिए एक बेहतर मंच हैं।

डॉ. बी.के. चाँद ने किसान को प्रोत्साहित किया और कहा कि एफपीसी का मछली पालन को अन्य घटकों के साथ एकीकृत करने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। पहले तकनीकी सत्र में डॉ. बि. के. दास ने अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी प्रबंधन पर प्रस्तुति दी। डॉ. एम. ए. हसन, प्रभागाध्यक्ष, भाकृअनुप-सिफरी ने स्थानीय रूप से उपलब्ध सामग्री के साथ मत्स्य आहार बनाने पर प्रस्तुति दी। डॉ. अरुण पंडित, प्रभारी, एफईयू ने एफपीसी के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। इसके अगले तकनीकी सत्र में भारतीय स्टेट बैंक की एक टीम ने वित्तीय पहलू और ऋण प्रक्रियाओं के बारे में चर्चा की। बैठक में राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-एनएएम), विनियमित विपणन, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा), सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) और नेवटिया विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ उपस्थित थे जिन्होंने उन्होंने अपने अनुभव साझा किए। प्रत्येक सत्र के बाद इंटरएक्टिव सत्र आयोजित किए गए। पश्चिम बंगाल के 44 एफपीसी से 43 महिलाओं सहित कुल 180 किसानों ने कार्यक्रम में भाग लिया।







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