इस कार्यक्रम में सिफ़री ने 2.5 लाख उन्नत भारतीय मेजर कार्प के अंगुलिमीनों (> 150 मिमी) को गंगा में निषेचित किया। स्वामी राशबिहारी महाराज जी (बेलूर मठ, रामकृष्ण मिशन और रामकृष्ण मठ) के करकमलों से यह कार्यक्रम आरंभ हुआ , सिफ़री के निदेशक डॉ. बसंत कुमार दास इस कार्यक्रम में मौजूद थे। स्वामी जी ने हमारे दैनिक जीवन में गंगा नदी के महत्व पर प्रकाश डाला और मछुआरों से गंगा नदी में प्लास्टिक और अन्य कचरे न फेंकने का आग्रह किया। उन्होंने मां गंगा को प्राचीन पुराणों से भी जोड़ा और स्थानीय मछुआरों से अंधाधुंध मछली पकड़ने से बचने को कहा।
इसके अलावा बाली थाने के सब इन्स्पेक्टर ने भी कार्यक्रम में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। मात्स्यिकी, हिलसा और डॉल्फिन संरक्षण के प्रति स्थानीय निवासियों के साथ-साथ 52 मछुआरों, और महिला मत्स्य पालकों को भी जागरूक किया गया और एक जन जागरूकता अभियान चलाया गया।