उन्होंने मछली पकड़ने की अंधाधुंध प्रथाओं से बचने और डॉल्फिन सहित गंगा की जैव विविधता के संरक्षण के लिए सभी को जागरूक किया। इसके साथ ही डॉ. दास ने मछुआरों और स्थानीय निवासियों से मां गंगा के संरक्षण के लिए परिश्रम करने का आग्रह किया।
स्थायी मत्स्य पालन, हिल्सा और डॉल्फिन संरक्षण के प्रति स्थानीय निवासियों के साथ-साथ 100 से अधिक स्थानीय मछुआरों और महिला मछुआरों को शामिल करते हुए एक जन जागरूकता अभियान भी चलाया गया। इस कार्यक्रम में नमामि गंगे परियोजना के सदस्यों के साथ सिफ़री के वैज्ञानिकों ने भाग लिया।