पश्चिम बंगाल के महिला मछुआरों ने हुगली नदी में रैन्चिंग कार्यक्रम में लिया भाग: सिफ़री द्वारा की गई पहल
बालागढ़ और त्रिबेनी,हुगली 09 मई, 2023
आईसीएआर- केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर ने “नमामि गंगे” परियोजना के तहत 9 मई 2023 को हुगली, पश्चिम बंगाल के बालागढ़ और त्रिबेनी में “नैशनल रैन्चिंग कार्यक्रम-2023” का आयोजन किया। 5 अप्रैल 2023 को नवद्वीप, पश्चिम बंगाल से इस कार्यक्रम की सूचना हुई। अप्रैल से मई, 2023 की अवधि के दौरान 11.5 लाख से अधिक अंगुलिमीनों को गंगा में छोड़ा गया । इस कार्यक्रम का लक्ष्य 22 लाख अंगुलिमीनों को गंगा में छोड़ना हैं ताकि मछली का स्टॉक बढ़ाया जा सके। सिफ़री ने पश्चिम बंगाल के हुगली जिले के बालागढ़ (2.0 लाख) और त्रिबेनी (2.1 लाख) में कुल 4.1 लाख उन्नत भारतीय मेजर कार्प के अंगुलिमीनों को निषेचित किया। त्रिबेनी के कार्यक्रम में सहायक मत्स्य अधिकारी, श्री तन्मय दास और स्थानीय प्राधिकरण के सदस्यों ने भाग लिया। सिफ़री के निदेशक डॉ. बि.के.दास ने गंगा नदी के महत्व पर प्रकाश डाला और नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत सिफ़री द्वारा की गई गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।

उन्होंने मछली पकड़ने की अंधाधुंध प्रथाओं से बचने और डॉल्फिन सहित गंगा की जैव विविधता के संरक्षण के लिए सभी को जागरूक किया। इसके साथ ही डॉ. दास ने मछुआरों और स्थानीय निवासियों से मां गंगा के संरक्षण के लिए परिश्रम करने का आग्रह किया।

स्थायी मत्स्य पालन, हिल्सा और डॉल्फिन संरक्षण के प्रति स्थानीय निवासियों के साथ-साथ 100 से अधिक स्थानीय मछुआरों और महिला मछुआरों को शामिल करते हुए एक जन जागरूकता अभियान भी चलाया गया। इस कार्यक्रम में नमामि गंगे परियोजना के सदस्यों के साथ सिफ़री के वैज्ञानिकों ने भाग लिया।





यह वेबसाइट भाकृअनुप-केन्द्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त संगठन से सम्बंधित है। कॉपीराइट @ 2010 आईसीएआर, यह वेबसाइट 2017 से कृषि ज्ञान प्रबंधन इकाई द्वारा विकसित और अनुरक्षित है।
अंतिम बार1 10/05/23 को अद्यतन किया गया