सिफ़री ने पटना में रैन्चिंग सह जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया
राजाघाट, पटना, बिहार, 30 जून, 2023
भाकृअनुप-केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-सिफ़री), बैरकपुर ने गंगा नदी में मछली संरक्षण और बहाली के लिए पटना में “नमामि गंगे” कार्यक्रम के तहत 'राष्ट्रीय रैन्चिंग कार्यक्रम-2023' का आयोजन किया।
अब तक आईसीएआर-सिफ़री ने “नमामि गंगे” परियोजना के तहत गंगा नदी के विभिन्न हिस्सों में जो अलग-अलग भारतीय राज्यों से होकर बहती हैं, 88 लाख से अधिक मछलियों का रैन्चिंग किया हैं। इसी क्रम में बीएएसयू, पटना के माननीय कुलपति डॉ.रामेश्वर सिंह की उपस्थिति में राजघाट, पटना, बिहार में रैन्चिंग सह जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। संस्थान के निदेशक और “नमामि गंगे” परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. बसंत कुमार दास ने गंगा नदी में मत्स्य पालन और संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला। रोहू, कतला, मृगल और कालबासु के कुल 2.0 लाख कृत्रिम रूप से पैदा की गई अंगुलिमीनों के जर्मप्लाज्म को राजा घाट से गंगा नदी में छोड़ा गया। सभी प्रजातियों में कतला 400 ग्राम के औसत आकार के साथ सबसे अधिक (60%) छोड़ा गया । इस कार्यक्रम में डॉ. कमल शर्मा, विभागाध्यक्ष, आईसीएआर-आरसीईआर पटना, श्री एन. जवाहर, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (जलवायु परिवर्तन और आर्द्रभूमि) और मत्स्य पालन विभाग, बिहार और सीआरपीएफ पटना के गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे। आईसीएआर-सिफ़री के इन प्रयासों से देशी मछली जर्मप्लाज्म के संरक्षण के अलावा स्थानीय मछुआरों की आजीविका को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
रैन्चिंग कार्यक्रम के अलावा, सिफ़री द्वारा एक जन जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किया गया था, जहां 50 से अधिक स्थानीय मछुआरे उपस्थित थे । गंगा नदी में सतत मत्स्य पालन के लिए की गई इस पहल में भाग लेने के लिए सभी ने वादा किया।
इस कार्यक्रम में मछुआरों की सक्रिय भागीदारी देखी गई। इसके अलावा गंगा के स्थानीय मछुआरों को मछली पकड़ने के जाल का वितरण भी किया गया।