पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले की आदिवासी महिलाओं के लिए आजीविका विकल्प तैयार करना: आईसीएआर-सिफ़री की एक पहल
बीरभूम, 5 जुलाई 2023
बीरभूम जिला पश्चिम बंगाल के वंचित जिलों में से एक है, जहां अत्यधिक गर्मी के कारण साल में अधिकांश समय अधिकतम कृषि भूमि सूखी रहती है। जिले की कुल आबादी का लगभग 7% अनुसूचित जन जाति से है। इसे ध्यान में रखते हुए, आईसीएआर-सिफ़री ने आजीविका के विकल्प उपाय उत्पन्न करने के लिए मत्स्य पालन इनपुट के साथ-साथ तकनीकी जानकारी देकर उन अनुसूचित जन जाति समुदाय से संबंधित ग्रामीण आबादी की सहायता करने की पहल की हैं।
कोविड-19 महामारी की पहली लहर के बाद, सिफ़री ने रथींद्र केवीके के सहयोग से, श्रीनिकेतन के के 16 अलग-अलग स्वंय सहायता समूह से कुल 152 लाभार्थियों का चयन किया और मछली के बीज, मछली का चारा और चूना प्रदान करके उनको सहायता प्रदान की। 2021 से अनुसूचित जन जाति घटक (एसटीसी) और अनुसूचित जाति उपयोजना (एससीएसपी) घटक के माध्यम से सिफ़री ने वैकल्पिक आजीविका के उपाय उत्पन्न करने के लिए सजावटी मछली पालन प्रथाओं का ज्ञान और कौशल को विकसित करने में ग्रामीण महिलाओं का समर्थन करने के लिए एक नई पहल की है। यह पहल सिफ़री के 'मिशन 3000' का एक हिस्सा है, जिसका लक्ष्य देश भर में 3000 महिलाओं को उनके आर्थिक सशक्तिकरण के लिए सक्रिय समर्थन प्रदान करना है। इस उद्देश्य को सफल बनाने के लिए, सिफ़री ने 4 जुलाई 2023 को रथींद्र केवीके, श्रीनिकेतन, बीरभूम के परिसर में अनुसूचित जन जाति घटक (एसटीसी) के तहत सजावटी मछली पालन पर एक 'इनपुट वितरण और प्रदर्शन कार्यक्रम' का आयोजन किया।
सिफ़री के निदेशक डॉ. बि.के. दास ने वैज्ञानिकों, तकनीकी कर्मचारियों और शोधार्थीयों सहित अपनी 'टीम' के साथ इनपुट वितरित किए, महिलाओं को जागरूक किया और टैंकों में सजावटी मछली पालन की तकनीकों का प्रदर्शन किया। इसके अलावा, प्रोफेसर अरुण बारिक, प्रिंसिपल, पीएसबी, विश्व भारती, डॉ. गुनिन चट्टोपाध्याय, पूर्व प्रोफेसर, विश्व भारती, डॉ. सुब्रतो मंडल, कार्यक्रम समन्वयक, रथींद्र केवीके और श्री के. मुखर्जी, राज्य मत्स्य पालन विभाग से जिला मत्स्य अधिकारी भी कार्यक्रम में मौजूद थे।
इस अवसर पर, जिले के विभिन्न गांवों की 30 आदिवासी महिलायों को सजावटी मछली के साथ-साथ सजावटी मछली टैंक और सजावटी मछली किट वितरित किए गए। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य इस जिले की आदिवासी महिलाओं का समर्थन करना और उनकी आय के स्तर के साथ-साथ आजीविका को सुधारना था। कुल मिलाकर आईसीएआर-सिफ़री के निदेशक के नेतृत्व में आदिवासी महिला प्रतिभागियों के चेहरे पर संतोषजनक मुस्कान इस कार्यक्रम की सफलता को दर्शाता हैं।