बिहार के नवादा जिले के मछली किसानों का क्षमता निर्माण |
बैरकपुर, 19 जुलाई 2023
बैरकपुर 19 जुलाई 2023
नवादा जिला बिहार के दक्षिण में स्थित प्राचीन मगध का एक हिस्सा है और जिले की जलवायु उष्णकटिबंधीय से आर्द्र है। गर्मी के मौसम के दौरान जिले को पानी की कमी की समस्या का भी सामना करना पड़ता है। इस जिले के मछुआरों की आय को दोगुना करने के उद्देश्य से कौशल विकास और क्षमता निर्माण कार्यक्रम के एक भाग के रूप में 13 जुलाई से 19 जुलाई 2023 के दौरान आईसीएआर- सिफ़री, बैरकपुर में "अन्तर्स्थलीय मत्स्य प्रबंधन" पर सात दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में कुल 30 प्रशिक्षुओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए संस्थान के निदेशक डॉ. बि.के. दास संस्थान ने मछुआरों की स्थायी आजीविका सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अन्तर्स्थलीय मत्स्य प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं पर कौशल विकास पर जोर दिया। उन्होंने मछुआरों से उत्पादन और उत्पादकता को अधिकतम करने के लिए उनके पास उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करने का आग्रह किया । प्रशिक्षण के दौरान, किसानों को तालाब निर्माण और प्रबंधन, मिट्टी और पानी की गुणवत्ता प्रबंधन, चारा और भोजन प्रोटोकॉल, सजावटी मछली सहित अन्तर्स्थलीय मत्स्य प्रबंधन के विभिन्न पहलुओं के बारे में सिखाया गया और फील्ड दौरे के साथ-साथ घरेलू और व्यावहारिक ज्ञान दोनों से उन्हें अवगत कराया गया। मछलियों के प्रजनन पहलू, पोषण संबंधी आवश्यकताएं, मछली स्वास्थ्य प्रबंधन, बाड़ेमें पालन, विभिन्न मछली पालन गतिविधियों के आर्थिक पहलू, मछली विपणन, सरकारी नियम, मत्स्य पालन पर जलवायु का प्रभाव आदि विषयों से भी उन्हें परिचित कराया गया। इसके अलावा, प्रशिक्षुओं को आईसीएआर-सीफा कल्याणी केंद्र, बालागढ़, पूर्वी कोलकाता आर्द्रभूमि (ईकेडब्ल्यू) के साथ-साथ गालिब स्ट्रीट (कोलकाता) के सजावटी मछली बाजार के प्रदर्शन दौरे पर ले जाया गया।
प्रशिक्षुओं ने संस्थान की फ़ीड मिल में बायो-फ्लॉक सिस्टम, रीसर्क्युलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस), सजावटी मछली पालन अभ्यास और मछली फ़ीड तैयार करने की प्रक्रिया का भी दौरा किया और प्रत्यक्ष जानकारी प्राप्त की। प्रशिक्षुओं को बुनियादी जल गुणवत्ता मापदंडों, स्थानीय रूप से उपलब्ध फ़ीड सामग्री का उपयोग करके मछली फ़ीड तैयार करने आदि जैसे विभिन्न आवश्यकता-आधारित पहलुओं पर व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान की गई।
संस्थान के निदेशक डॉ. बि. के. दास, एफआरएआई विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एस. सामंता और आरडब्ल्यूएफ विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आर. के मन्ना के साथ बातचीत सत्र के बाद प्रशिक्षुओं को उनके प्रमाण पत्र भी दिए गए। फीडबैक सत्र में प्रशिक्षुओं ने अपनी संतुष्टि व्यक्त की और साथ ही यहाँ से प्राप्त ज्ञान को उनके संबंधित जल संसाधनों में लागू करने की भी बात कही।