विभिन्न विषयों को कवर किया गया जैसे जल गुणवत्ता विश्लेषण, नदी मत्स्य प्रबंधन, जलाशय मत्स्य प्रबंधन, संवर्धित-आधारित मत्स्य पालन, मछली चारा और भोजन प्रोटोकॉल, रोग प्रबंधन, पेन कल्चर, केज कल्चर, जीआईएस, कैच अनुमान, सरकारी नियम, पीआरए के माध्यम से समस्या की पहचान आदि। इसके अलावा प्रशिक्षुओं को पूर्वी कोलकाता आर्द्रभूमि और सीआईएफई, कोलकाता केंद्र के फील्ड एक्सपोजर दौरे पर ले जाया गया।
समापन सत्र में प्रशिक्षुओं ने प्रशिक्षण के बारे में अपने अनुभव सांझा किये। लगभग 97% प्रशिक्षुओं ने कहा कि वे प्रशिक्षण कार्यक्रम से अत्यधिक संतुष्ट हैं। उनमें से अधिकांश ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम उनके लिए बहुत उपयोगी रहा क्योंकि इससे उनके ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण में सुधार हुआ है। अधिकारियों ने यह भी बताया कि सिफ़री में प्रशिक्षण की स्थिति भी काफी अनुकूल थी। प्रशिक्षण का समन्वयन डॉ. ए.के. दास, डॉ. अपर्णा रॉय, सुश्री अंजना एक्का और श्री सतीश कौशलेश द्वारा किया गया और तकनीकी सहायता श्री सुजीत चौधरी, डॉ. अविषेक साहा, श्री मनबेंद्र रॉय और श्री कौशिक मंडल द्वारा प्रदान की गई।
