इस कार्यक्रम का आयोजन अनुसूचित जाति की महिलायों की आजीविका के अवसरों को बढ़ाने के लिए किया गया था। आईसीएआर- सिफ़री, कोलकाता के निदेशक डॉ. बि. के. दास द्वारा एफआरपी टैंक और अन्य सहायक उपकरण से युक्त सजावटी मछली पालन इकाइयों को स्टार्ट अप सामग्री के रूप में वितरित किया गया। डॉ. दास ने लाभार्थियों को उनकी नियमित घरेलू कामकाज में बाधा डाले बिना ही सजावटी मछली पालन द्वारा अतिरिक्त आय करने के लिए उन्हे प्रोत्साहित किया । उन्होंने देश के पूर्वी हिस्से में सजावटी मछली पालन और इसकी निर्यात आय के अलावा घरेलू संभावनाओं और ग्रामीण स्तर पर इसके कुटीर उद्योग के महत्व पर भी जोर दिया, जो कमजोड़ वर्ग के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए सबसे अच्छा उपाय है। सोनारपुर कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख डॉ. नारायण चंद्र साहू ने लाभार्थियों को प्रौद्योगिकी को ईमानदारी से उपयोग करने की सलाह दी। उन्होंने ग्रामीण अनुसूचित जाति समुदाय की आजीविका की स्थिति को सुधारने के लिए आईसीएआर-सिफ़री द्वारा की गई पहल और कार्यों की भी सराहना की। सिफ़री टीम द्वारा लाभार्थियों के लिए सजावटी मछली पालन इकाई की स्थापना का लाइव प्रदर्शन भी किया गया। महिला लाभार्थियों को प्रेरित किया गया और उन्होंने योजना में अपनी रुचि दिखाई। कृषि विज्ञान केंद्र में प्रदर्शन सह स्टार्ट अप कार्यक्रम में कुल 22 महिला लाभार्थियों ने भाग लिया। आईसीएआर-सिफ़री और कृषि विज्ञान केंद्र के संयुक्त उद्यम में किए गए इस प्रकार के प्रयास से पश्चिम बंगाल की महिला लाभार्थियों को सफलता मिल रही हैं, उनका विकास हो रहा है और वे इसी तरह नए मुकाम प्राप्त कर रही है।