सुंदरबन डेल्टा क्षेत्र की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से चावल, मछली, बीटल और मधुमक्खी पालन पर निर्भर करती है और यही इसकी रीढ़ है। आईसीएआर-सिफ़री स्थानीय समुदायों, गैर सरकारी संगठनों, एफपीओ और एसएचजी की मदद से 2019 से घर के पीछे के तालाबों में छोटे पैमाने पर जलीय कृषि का उपयोग करके उनकी आजीविका बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभा रहा है। पिछले 4 वर्षों में, अनुसूचित जाति और जनजाति समुदायों से संबंधित 5000 से अधिक लाभार्थियों को इस कार्यसूची से जोड़ा गया, जिन्होंने अपनी आजीविका में वृद्धि अर्जित की है। इस वर्ष मई के महीने में 5000 महिला लाभार्थियों को भी सिफ़री द्वारा इस कार्यसूची में शामिल किया गया। 20 अगस्त 2023 को, कुलतली मिलन तीर्थ सोसाइटी के सहयोग से छह गांवों (अमझारा, बसंती, रामचन्द्रखाली, उत्तर मोकाम्बेरिया, फुलमलांचा, चरविद्या) से संबंधित 100 महिला लाभार्थियों के लिए, पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना के कुलतली में तालाब मछली पालन पर एक जागरूकता कार्यक्रम और इनपुट वितरण का आयोजन किया गया था। इस जागरूकता कार्यक्रम में सिफ़री के निदेशक डॉ. बि .के. दास, ने छोटे पैमाने के जलीय कृषि की भूमिका पर जोर दिया, जो उनके घरों के पीछे के तालाबों में सरल हस्तक्षेप के माध्यम से उनके पोषण और आजीविका को बढ़ाएगा। उन्होंने सिफ़री द्वारा की गई गतिविधियों से मिले लाभों और ग्रामीण किसानों की सफलता के बारे में भी बताया। .सामाजिक कार्यकर्ता और सोसायटी के सचिव श्री लोकिमन मोल्ला ने ग्रामीण गरीबों की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों के उत्थान में सिफ़री की भूमिका पर जोर दिया। अनुसूचित जाति परियोजना के वैज्ञानिक और प्रभारी डॉ. लियानथुआमलुईया ने संस्थान के अनुसूचित जाति परियोजना कार्यक्रम की भूमिका के बारे में बताया। जागरूकता कार्यक्रम के बाद 100 ग्रामीण महिला लाभार्थियों को मछली के बीज और चारा के रूप में इनपुट वितरण किया गया। संस्थान की शोधार्थी डॉ. श्रेया भट्टाचार्य ने स्थानीय भाषा में संस्थान की भूमिका और उसके द्वारा किए गए कार्यों के बारे में सबको सूचित किया और इनपुट वितरण के लिए आवश्यक व्यवस्था की।